राकेश राज , सीतामढ़ी : मां जानकी की प्रकाट्यस्थली सीतामढ़ी में भी बापू की यादें रची बसी हैं. वर्ष 1927 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सीतामढ़ी आये थे. उन्होंने शहर के पार्क रोड स्थित श्रद्धानंद अनाथालय का शिलान्यास किया था. हालांकि गांधी जी की यादों को सहेजे श्रद्धानंद अनाथालय आज खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है.
मिली जानकारी के अनुसार, स्वामी दयानंद के शिष्य स्वामी श्रद्धानंद आर्य समाज के प्रवर्तक थे. इनके शिष्य बाबा नर¨सिंह दास वर्ष 1926 में सीतामढ़ी आये थे. उन्होंने अपने गुरु की स्मृति में एक अनाथालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा था, जो आज श्रद्धानंद अनाथालय के दीवार पर लगे ताम्रपत्र में अंकित शिलापट्ट इसकी गवाह है.
अंग्रेजों के विरुद्ध चलाए जा रहे आंदोलन के दौरान देश में राजनीतिक के साथ ही सामाजिक परिवर्तन के लिए भी प्रयास किए जा रहे थे. अनाथ बच्चों को आश्रय देने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गयी थी. बापू ने सीतामढ़ी के लोगों से अनाथालय को भरपूर सहयोग करने की बात कही थी. तब श्रद्धानंद अनाथालय को शहर से लेकर जिले के सोनबरसा तक करीब 12 से 13 एकड़ जमीन और पांच एकड़ पोखर दान में मिला था.
वर्ष 1976 में अनाथालय के रह रहे बच्चे को यहां से हटा कर पानी टंकी के पीछे स्थित भवन में स्थानांतरित कर दिया गया. वर्ष 1985 में तत्कालीन डीएम एसी रंजन की पहल पर पुराने भवन की जगह नया भवन बनाया गया. इसके अगले ही साल वर्ष 1986 में बिजली विभाग को किराये पर दे दिया गया.
वर्ष 2015 में बिजली विभाग का कार्यालय भी यहां से खाली हो गया. वर्तमान में यहां एएनएम निवास कर रही हैं. बापू की अमूल्य धरोहर आज खंडहर होने के कगार पर खड़ा है. इसे सहेजने का सामाजिक व प्रशासनिक प्रयास अब तक विफल है.
posted by ashish jha