पटना: बिहार में लोक आस्था के महापर्व छठ का समय नजदीक आ गया है. 28 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो जाएगा. कोरोना काल के दो साल के बाद फिर से धूमधाम से बिहार समेत पूरे देश में छठ की छटा देखने को मिलेगी. राजधानी पटना में भी हजारों लोग गंगा घाटों पर व्रत के लिए जाते हैं. लेकिन इस बार गंगा नदी ने जिला प्रशासन समेत व्रतियों की टेंशन को बढ़ा दी है.
पटना के डीएम की मानें तो राजधानी में इस बार कुल 105 छठ घाटों को निरीक्षण किया गया. जिनमें से कुल 17 अनुपयुक्त पाये गए. इनमे से कलेक्ट्रेट घाट, एलसीटी घाट, पहलवान घाट और महेंद्रू घाट, राजापुर पुल घाट, मिश्री घाट, टीएन बनर्जी घाट और अंता घाट हैं. जिला प्रशासन ने इन सभी घाटों को खतरनाक घाटों की श्रेणी में रखा है.
कलेक्ट्रेट घाट
एलसीटी घाट
पहलवान घाट
महेंद्रू घाट
राजापुर पुल घाट
मिश्री घाट
टीएन बनर्जी घाट
अंता घाट
बता दें कि पटना में गंगा नदी के जलस्तर में मंगलवार की दोपहर तक वृद्धि जारी रहा. संभावना जताई जा रही है कि अगले दो से तीन दिनों में जलस्तर में कमी आएगी. लेकिन बांस घाट समेत अन्य घाटों पर इस साल भारी मात्रा में मिट्टी का कटाव हुआ है. इसके अलावे जिन 17 घाटों को अनुपयुक्त माना गया है. वहां के पहुंच मार्ग पर भी अभी तीन फीट तक पानी भरा हुआ है. जिला प्रशासन के सामने चुनौती यह है कि अगर इन मार्गों से पानी निकल भी गया तो किचड़ को कैसे हटाया जाएगा.
पटना में हजारों की संख्या में लोग छठ व्रत करते हैं. ऐसे में व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए अब जिला प्रशासन प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरह के तालाब को तैयार करवा रही है. तालाबों को श्रद्धालुओं के लिए तैयार करने के लिए एजेंसियों को सौंप दिया गया है. उम्मीद है कि दीवाली तक काम पूरा हो जाएगा. अधिकारियों कि मानें तो छठ अनुष्ठान की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए इन जल निकायों को गंगा जल से जोड़े जाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है.