गया अफसर ट्रेनिंग सेंटर (ओटीए) में शनिवार की सुबह 23वीं पासिंग आउट परेड के बाद पिपिंग सेरेमनी में कैडेट्स के कंधे पर स्टार लगा सैन्य अधिकारी का दर्जा दिलाने के बाद कई कैडेट्स के गार्जियन के चेहरे पर खुशी झलक रही थी, तो कईयों की मां गले लग कर आंसू बहा रही थीं. लेकिन, यह खुशी के आंसू थे. यहां प्रशिक्षण पा रहे 82 कैडेट्स ने शनिवार को पास आउट होकर सेना की सेवा के प्रति वफादार, निष्ठा व ईमानदारी के साथ देश सेवा की शपथ ली. इनमें 11 मित्र राष्ट्रों के कैडेट्स को छोड़ बाकी 71 सैन्य अधिकारी देश सेवा को समर्पित किये गये. इनमें सात कैडेट्स बिहार के थे.
पिताजी राजकुमार फौज के इएमइ में हवलदार से रिटायर्ड कर फिलहाल गांव में ही खेती-किसानी कर रहे हैं. उन्हीं की प्रेरणा से सैन्य अधिकारी बने हैं. अभिभावकों का पूरा सहयोग व प्रशिक्षकों से मिली सीख को हथियार बना कर मेहनत की और सफलता मिली.
मैं तीसरी पीढ़ी सेना में अधिकारी के तौर पर ज्वाइन कर सफलता पाया हूं. मेरे दादाजी पारसनाथ सिंह सेना में ही हवलदार से रिटायर्ड हैं. पिताजी अरविंद कुमार सिंह जेसीओ के पद पर हैं, जबकि छोटा भाई संदीप सिंह मुझसे पहले सेना में जाकर फिलहाल कैप्टन है. मेरी पत्नी कविता सिंह है, जबकि बेटा तीन वर्ष अर्थव सिंह, जिसे भी सेना में ही लाने की ख्वाहिश है.
पिताजी समरेश सिंह बंटी ट्रक ड्राइवर हैं. उनकी चाहत थी कि सेना में अधिकारी बनूं. में अपने परिवार में पहला व्यक्ति हूं, जो सेना ज्वाइन किया और अधिकारी बनकर अपने पिता-माता का सिर ऊंचा किया. उनके सपने को पूरा कर बड़ी खुशी मिल रही है. मैंने सैनिक स्कूल पुरुलिया (प,बं) से 12वीं की पढ़ाई की है. एक भाई व एक बहन हूं.
मैं दो भाई हूं. पिताजी एसएम बरकत अली पहले से जम्मू में एयरफोर्स में जेडब्ल्यूओ के पद पर हैं. दूसरा भाई 12वीं क्लास में है. मेरी ख्वाहिश थी कि सेना ज्वाइन करूं और अफसर बनूं. आज वह सपना पूरा हुआ. अब इससे भी बेहतर करने का इरादा है. बिहार के लड़कों को चाहिए कि मेहनत करें. फौज में काफी संभावनाएं हैं.
अपने परिवार में तीसरा व्यक्ति हूं जो आर्मी ज्वाइन कर देश सेवा करना चाहता हूं. मेरे दादाजी विश्वनाथ सिंह आर्मी में ही थे. पिताजी दिलीप सिंह भी आर्मी से रिटायर्ड किये हैं. इसलिए देश सेवा व अनुशासन की सीख घर से ही मिली. पिताजी की इच्छा थी कि सेना में अधिकारी बनूं. आज उनका सपना पूरा हुआ. बड़ी खुशी मिली है.
देश सेवा व देश प्रेम की सीख घर से मिली है, इसलिए कि पिताजी सेना से ही रिटायर्ड होकर फिलहाल लखनऊ में आरबीआइ में पोस्टेड हैं. बहन शुभम मिश्रा आइबी में जॉब करती हैं. दादाजी डॉ विजय शंकर मिश्रा भी चिकित्सक हैं. सभी की इच्छा थी कि सेना में अधिकारी बनूं. मेहनत व लगन के बल कर आज सफलता पाया हूं. बड़ी खुशी हो रही है.
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मैं अपने परिवार में अकेला हूं, जो सेना में अधिकारी बन कर आज देश की सेवा करूंगा. मेरे पिताजी की पटना के कंकड़बाग में किराना दुकान है. मां गृहिणी हैं. मेरी पढ़ाई-लिखाई पटना में ही हुई है. शुरू से इच्छा थी कि आर्मी ज्वाइन करूं. मैंने लगन व मेहनत से पढ़ाई की और टीइएस निकाला. बिहार के अन्य युवाओं को भी चाहिए कि वह सेना में जाकर देश की सेवा करें.