निर्देश का शत-प्रतिशत पालन करना असंभव : आइएमए
निजी क्लिनिक व नर्सिंग होम में लोगों को पहले की तरह इलाज की सुविधा दिये जाने के निर्देश के बाद कई बिंदुओं पर आइएमए ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि इसका शत-प्रतिशत अनुपालन करना संभव नहीं है.
गया : निजी क्लिनिक व नर्सिंग होम में लोगों को पहले की तरह इलाज की सुविधा दिये जाने के निर्देश के बाद कई बिंदुओं पर आइएमए ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि इसका शत-प्रतिशत अनुपालन करना संभव नहीं है. आइएमए के अध्यक्ष डॉ रामसेवक प्रसाद व सचिव डॉ विश्वविजय सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के चलते सारे पारा मेडिकल स्टाफ नहीं आ पा रहे हैं. इसके बाद भी 70-80 फीसदी क्लिनिकों व नर्सिंग होम में लोगों को सेवा दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन के द्वारा भी जो दिशा-निर्देश मिला है उसका शत-प्रतिशत पालन करना असंभव है. इसमें कई तरह की समस्याएं हैं. इसका मुख्य कारण पूरे क्लिनिक व नर्सिंग होम का पूर्ण सैनिटाइजेशन व इंफेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल का पालन करना, सारे पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की गुणवत्ता व उपलब्धता की कमी के साथ इसकी कीमत पर कोई कंट्रोल न रहना है. सबसे बड़ी समस्या सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करने की रहती है, जिससे ज्यादा मरीजों को नहीं देखा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि पीपीइ किट को पहन कर तीन-चार घंटे से ज्यादा कार्य नहीं किया जा सकता है. दूसरी सबसे बड़ी समस्या व डर है कि अगर प्राइवेट क्लिनिक व नर्सिंग होम में कोरोना मरीज मिलता है, तो अस्पताल को सील करने का नियम है. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल की तरह अगर कोरोना का कोई मरीज मिलता है, तो प्राइवेट क्लिनिक व नर्सिंग होम को पूर्ण रूप से सैनिटाइज करते हुए इन्हें भी पुनः कार्य करने की अनुमति दी जाये.
इसके साथ ही 60 वर्ष से ऊपर के चिकित्सकों को ड्यूटी से राहत मिले. केंद्र सरकार द्वारा दिये गये बीमा का लाभ प्राइवेट चिकित्सक व उनके स्टाफ को भी प्रदान किया जाये. मरीजों व शहर के सुदूर जगहों पर जो चिकित्सक प्रैक्टिस कर रहे हैं उनको शिकायत रहती है कि लॉकडाउन में वाहन चेकिंग के चलते आवागमन में काफी परेशान होती है. इन सभी बिंदुओं पर भी विचार किया जाये.