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सतर्कता होती, तो टल सकती थी तोड़-फोड़

गया: बुधवार की रात आक्रोशित छात्रों द्वारा प्राध्यापकों के आवास किये गये पथराव को अगर कॉलेज प्रशासन गंभीरता से लिया होता, तो गुरुवार को मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में तोड़-फोड़ की घटना नहीं होती. बताया जाता है कि मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ सागर रजक, नेत्र रोग विभाग के डॉ बीडी गोयल व फार्माक्लॉजी […]

गया: बुधवार की रात आक्रोशित छात्रों द्वारा प्राध्यापकों के आवास किये गये पथराव को अगर कॉलेज प्रशासन गंभीरता से लिया होता, तो गुरुवार को मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में तोड़-फोड़ की घटना नहीं होती.

बताया जाता है कि मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ सागर रजक, नेत्र रोग विभाग के डॉ बीडी गोयल व फार्माक्लॉजी विभाग के डॉ जलेश्वर प्रसाद के आवासों पर बुधवार की देर रात आक्रोशित छात्रों ने रुक-रुक कर करीब दो घंटे तक रोड़ेबाजी की और असंसदीय भाषा का प्रयोग किया. इसकी पुष्टि डॉ सागर रजक ने भी की है.

उधर, गुरुवार की सुबह से डॉ बीडी गोयल ने जरूरी कदम उठाने के लिए अस्पताल व कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारियों समेत कई डॉक्टरों का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, किसी ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया और न ही आक्रोशित छात्रों को रोकने के लिए कोई कदम उठाया गया. इससे छात्रों का मनोबल बढ़ गया. परिणामस्वरूप, कॉलेज व अस्पताल में छात्रों ने उपद्रव मचाया और जमकर तोड़-फोड़ की. तब जाकर प्रशासनिक अधिकारियों की नींद टूटी.

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