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हाथ में फाउड़ी और हथेली पर जान रख नालों में उतरते हैं सफाईकर्मी

असंवेदनशीलता. साफ-सफाई के दौरान मजदूरों का नहीं रखा जाता ख्याल बोर्ड की बैठकों में हर बार होती हैं सुरक्षा उपकरणों खरीद पर बातें 10 माह में आठ स्थायी सफाई कर्मचारियों की बीमारी के कारण हो चुकी है मौत गया : नगर निगम के 53 वार्डों में कई छोटे-बड़े नाले हैं. इनमें कुछ बड़े नाले भी […]

असंवेदनशीलता. साफ-सफाई के दौरान मजदूरों का नहीं रखा जाता ख्याल

बोर्ड की बैठकों में हर बार होती हैं सुरक्षा उपकरणों खरीद पर बातें
10 माह में आठ स्थायी सफाई कर्मचारियों की बीमारी के कारण हो चुकी है मौत
गया : नगर निगम के 53 वार्डों में कई छोटे-बड़े नाले हैं. इनमें कुछ बड़े नाले भी हैं. इनकी साफ-सफाई के दौरान सफाई मजदूरों को किसी तरह का सुरक्षा उपकरण नहीं दिया जाता. सीधे तौर पर सफाई मजदूर जिंदगी दांव पर रखकर नालों में फाउड़ी (साफ-सफाई का एक उपकरण) लेकर उतरते हैं. सफाई के दौरान इन्हें मास्क, दस्ताने, सेफ्टी बेल्ट या जूते नहीं दिये जाते हैं. विगत 10 माह के आंकड़े देखे, तो आठ स्थायी सफाई कर्मचारियों की बीमारी के कारण मौत हो चुकी है. इसके साथ ही एक अस्थायी मजदूर की नाली सफाई के दौरान करेंट लगने से जान जा चुकी है. बोर्ड की बैठकों में हर बार सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए उपकरण देने की बात कही जाती है.
इतना ही नहीं, कर्मचारी यूनियन हर बार अपने आंदोलन के दौरान इन मांगों को निगम प्रशासन के सामने रखता है. लेकिन, अब तक इन लोगों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है. सूत्रों का कहना है कि नगर निगम में नाले की सफाई के लिए डी-सिल्टिंग मशीन की खरीदारी करने का निर्णय लिया गया था, ताकि मजदूरों को नाले की सफाई के दौरान अंदर नहीं उतरना पड़े. लेकिन, कई माह बीतने के बाद भी डी-सिल्टिंग मशीन निगम से एडवांस दिये जाने के बाद भी सप्लाइ नहीं मिली.
कई जगहों पर पाइपलाइन में बिजली की अर्थिंग भी
शहर के नालियों से होकर वाटर सप्लाइ का पाइपलाइन गुजरा है. कई जगहों पर बिजली की अर्थिंग इन्हीं पाइपलाइनों में जोड़ दिया गया है. नाली की सफाई के दौरान मजदूरों की जान पर खतरा मंडराते रहता है. निगम ज्यादातर जगहों पर सफाई के दौरान बिजली कटवा देता है, लेकिन जानकारी नहीं होने पर कई बार घटना हो चुकी है. इसके साथ ही कई जगहों पर सड़े व खराब पाइपलाइन को नाले में खुला छोड़ दिया गया है. उस पर पैर पड़ने के बाद सफाई कर्मचारी घायल भी हो जाते हैं.
जनवरी 2017 से अक्तूबर तक मरनेवाले सफाई मजदूरों का विवरण
नाम वार्ड नंबर उम्र
रामस्वरूप 26 50
गीतवा 04 48
वीरा 36 50
रामदास 03 45
नाम वार्ड नंबर उम्र
मिलन 18 42
अर्जुन 37 45
बाले 19 50
खलील 38 47
उठाये जा रहे जरूरी कदम
नगर निगम में सफाई से जुड़े सभी कर्मचारियों का हर हाल में स्वास्थ्य का ख्याल रखने का आदेश दिया गया है. साफ-सफाई के दौरान जरूरी उपकरण की खरीदारी का प्रस्ताव भी बोर्ड से पारित कर दिया गया है. पितृपक्ष मेले के दौरान इन्हें दिया भी गया था. हां, कुछ चीजों की खरीदारी अब तक नहीं हो सकी है. इसकी जांच की जायेगी. त्रुटियां जल्द सुधारी जायेंगा. जल्द ही निगम में सफाई कर्मचारी को हर तौर से सुरक्षित व्यवस्था दी जायेगी.
वीरेंद्र कुमार, मेयर
बिना सेफ्टी के साफ-सफाई यानी बीमारी को न्योता
बिना सुरक्षा उपकरण के नालियों की सफाई से संक्रामक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. इसमें त्वचा रोग, दस्त, टायफाइड, हेपेटाइटिस-बी, सांस व पेट की बीमारियां आदि शामिल हैं. बिना जूते के नाली सफाई के दौरान ‘टैटनी’ नामक बैक्टीरिया खुले घावों को टैटनस में बदल देता है. ऐसे सफाईकर्मी हमेशा ही त्वचा जलन व एलर्जी से परेशान रहते हैं. खास कर बारिश के मौसम में जुकाम, खांसी, डायरिया व टीवी जैसे संक्रामक बीमारियों का खतरा इनके बीच अधिक होता है.
देश में हर साल करीब हजारों सफाई कर्मचारियों की मौत विषैली गैस की वजह से होती है. देश में नाली सफाई करने वाले 90 फीसदी कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले ही जानलेवा बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. इससे जो बच जाते हैं वह जीवनभर किसी-न-किसी गंभीर बीमारी से जूझते रहते हैं. सफाई कर्मचारियों की लंबी उम्र के लिए सफाई के दौरान मास्क, दस्ताना व जूते आदि का इस्तेमाल हर समय करना चाहिए. सफाई का काम खत्म होने के बाद पूरे शरीर की सफाई करनी चाहिए. इनके उपयोग से कई बीमारियों से बचा जा सकता है.
डॉ मनीष कुमार सिंह

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