बोधगया़ : भारत व चीन की मित्रता को और प्रगाढ़ करने व विश्व में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चीन से पदयात्रा करते हुए 108 बौद्ध भिक्षुओं का दल सोमवार को बोधगया पहुंचा. इस दल में 54 महिला भिक्षुणी व 54 पुरुष भिक्षु शामिल हैं.
सोमवार की सुबह करीब 10 बजे भिक्षुओं के कारवां ने बोधगया पहुंचने के बाद सबसे पहले महाबोधि मंदिर के बाहर विश्व शांति की प्रार्थना की. इसके बाद चीन के बौद्ध मठ स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना की. चायना बौद्ध मठ के प्रभारी मास्टर रि-चाव ने बताया कि अगले दो दिन तक सभी भिक्षु चायना बौद्ध मठ में आराम व पूजा-अर्चना करेंगे. इसके बाद 23 नवंबर को महाबोधि मंदिर में विशेष पूजा में शामिल होंगे.इस दौरान चायना बौद्ध मठ द्वारा आयोजित इंटरनेशनल वाटरलैंड पूजा में भी सभी भिक्षु व भिक्षुणी शामिल होंगे.
भारत-चीन संबंधों में बेहतरी की कामना : भिक्षुओं की पदयात्रा के बारे में मास्टर रि-चाव ने बताया कि करीब डेढ़ हजार साल पहले चीनी यात्री ह्वेनसांग पैदल ही भारत पहुंचे थे. करीब 12 वर्ष तक भारत में गुजारने के बाद चीन लौटे थे और बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया था.
अब फिर से चीन से बौद्ध भिक्षुओं का दल पैदल यात्रा कर दोनों देशों के बीच मित्रता को और प्रगाढ़ बनाने का संदेश देने में जुटा है. करीब 3800 किलोमीटर तक पैदल चल कर सभी बौद्ध भिक्षु बोधगया पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों भारत व चीन के बीच सीमा को लेकर उत्पन्न विवाद से चीन के लोग भी दुखी हैं, क्योंकि चीन में बौद्ध धर्म का फैलाव भारत से ही हुआ है.
रि-चाव ने बताया कि विवाद पर दोनों देशों के सरकार को आपसी बातचीत के साथ मामले का निबटारा करना चाहिए. समस्या के समाधान के लिए युद्ध जैसे हालात उचित नहीं है. उन्होंने बताया कि पैदल चल कर बोधगया पहुंचे भिक्षुओं व भिक्षुणियों द्वारा विश्व शांति की कामना की जायेगी. दोनों देशों के बीच मधुर संबंध कायम हो सके, इसके लिए भगवान बुद्ध के समक्ष प्रार्थना की जायेगी.