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अतिक्रमणमुक्त हुई जमीन पर फिर से कब्जा

मानपुर : अतिक्रमण करनेवाले न्यायालय के आदेश को भी नहीं मानते. इस तरह के मामलों से लोग तो परेशान हैं ही सरकारी पदाधिकारी भी परेशान दिख रहे हैं. नगर निगम के वार्ड 51 के मानपुर कुम्हारटोली (तेली टोला) के पास सरकारी स्कूलवाली गली को प्रशासन ने हाइकोर्ट के फैसले के बाद अतिक्रमणमुक्त कराया था. लेकिन, […]

मानपुर : अतिक्रमण करनेवाले न्यायालय के आदेश को भी नहीं मानते. इस तरह के मामलों से लोग तो परेशान हैं ही सरकारी पदाधिकारी भी परेशान दिख रहे हैं. नगर निगम के वार्ड 51 के मानपुर कुम्हारटोली (तेली टोला) के पास सरकारी स्कूलवाली गली को प्रशासन ने हाइकोर्ट के फैसले के बाद अतिक्रमणमुक्त कराया था.

लेकिन, एकबार फिर वहां कमेश यादव उर्फ डोमन यादव ने अतिक्रमण कर लिया है. कोर्ट में परिवाद दायर करनेवाले विवेक कुमार सिन्हा ने इसकी लिखित सूचना डीएम, सीओ व स्थानीय मुफस्सिल थाने को दी.

कैसे हुआ सर्वे
‘मैप माई इंडिया’ नामक कंपनी को तहसीलदार डिमांड मिलान कर काम कराना था. सूत्रों के अनुसार, किसी भी वार्ड में सर्वे के दौरान तहसीलदार को साथ नहीं रखा गया है. ‘मैप माई इंडिया’ के प्रतिनिधि द्वारा स्थानीय लोगों के माध्यम से सर्वे का काम पूरा किया जा रहा है. इससे यह हुआ कि जहां नगर निगम द्वारा होल्डिंग टैक्स लेना बंद कर दिया गया है. उन मकानों को भी यूनिक नंबर दे दिया गया.
क्या कहते हैं मेयर
प्राइवेट कंपनी को होल्डिंग सर्वे कर यूनिक नंबर जेनरेट करने का निर्देश विभाग द्वारा दिया गया है. बाहर के लोग व कुछ लोकल लड़कों को रखकर सर्वे का काम कराया गया है. सर्वे में लगे कर्मचारियों को शहर की भौगोलिक स्थिति की जानकारी नहीं है. किसी भी सूरत में कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं करने दी जायेगी. जांच करा कर इसका निष्कर्ष निकाल लिया जायेगा.
वीरेंद्र कुमार, मेयर
क्या था हाइकोर्ट का आदेश
शहर की एक संस्था ने 2011 में हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर फल्गु को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की थी. इस मामले में हाइकोर्ट की डबल बेंच ने 2015 में आदेश दिया कि जिला प्रशासन फल्गु को (बोधगया से लेकर कंडी नवादा तक) कब्जा मुक्त कराये और नदी के दायरे में बने मकान तोड़े. इसके अलावा नदी का सीमांकन कर पिलर लगाने का भी आदेश दिया था. साथ ही यह भी आदेश था कि नदी में जगह-जगह बह रहे सीवरेज में ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जायें.
कोर्ट ने 2015 मॉनसून से पहले नदी से कचरा हटाने को भी कहा था. कोर्ट के आदेश के बाद फल्गु नदी के दायरे में बने मकानों को हटाने के दौरान प्रशासन का कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा मनसरवा नाले की जमीन पर बने मकानों को भी तोड़ने में प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. दोनों मामलों में आधी-अधूरी ही सफलता मिली. बॉटम नाले की जमीन पर अतिक्रमणकारी निगम रसीद को आधार बना कर अपना हक अब तक जता रहे हैं.
बॉटम नाले का मामला भी हाइकोर्ट में लंबित है. यूनिक नंबर प्लेट मकानों पर लगाये जाने के बाद लोगों का कहना है कि निगम ने अब उन्हें वैध घोषित कर दिया है. अब अन्य सुविधाएं जैसे वाटर सप्लाइ भी दे देनी चाहिए, क्योंकि लगभग घरों को बिजली कनेक्शन दे दिया गया है.

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