गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या का आयोजन
गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या-191 का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता उप सभापति डॉ ब्रजराज मिश्र ने की. रामवृक्ष बेनीपुरी काे समर्पित काव्य संध्या में अरुण हरलीवाल, रामावतार सिंह, वासुदेव प्रसाद व सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने बेनीपुरी जी की जीवनी पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि बेनीपुरी जी […]
गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या-191 का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता उप सभापति डॉ ब्रजराज मिश्र ने की. रामवृक्ष बेनीपुरी काे समर्पित काव्य संध्या में अरुण हरलीवाल, रामावतार सिंह, वासुदेव प्रसाद व सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने बेनीपुरी जी की जीवनी पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि बेनीपुरी जी की रचनाआें में आंचलिकता के साथ जीवन के प्रति प्रगतिशील दृष्टिकाेण का समाबेस है. वह विराम चिह्नों का सटीक प्रयाेग करते हैं.
काव्य संध्या की शुरुआत करते हुए कुमारी संगीता सिन्हा ने बेटी के जन्म की दुर्दशा पर व्यंग्य किया- ‘जन्म हुआ मेरा फिर भी, बजी नहीं बधाई क्याें?…’गजेंद्र लाल अधीर ने व्यवस्था पर चाेट करते हुए प्रस्तुत किया- ‘राशन पर भाषण हाेता, पर राशन किसकाे मिलता है…’, डॉ प्राेफेसर सुल्तान अहमद ने गजल पढ़ी- ‘मजहब के नाम पे जाे कराते हैं फसाद, हर काैम में है काैम का गद्दार देखिए…’, किरण बाला ने बाल विवाह व दहेज प्रथा पर प्रकाश डाला, ताे नीतू गुप्ता ने बचपन की कहानी याद दिलायी-
तूझे देख याद आयी बचपन की कहानी, वे कागज की नावें, कश्ती का पानी…’, डॉ निरंजन श्रीवास्तव व अधिवक्ता शिववचन सिंह ने सम्मेलन के पूर्व सभापति स्वर्गीय गाेवर्द्धन प्रसाद सदय काे समर्पित अपनी कविता पढ़ी- ‘कहां गये मुझे छाेड़ सदय जी, किससे पूछूं पता आपका?…’, प्राे नाैशाद सदफ ने सुनाया- ‘नगमे सुना कराेगे हमेशा बहार के, गुलशन में जाआे तुम अगर उलझन उतार के…’, गीतकार संजीत कुमार ने पेश किया- ‘भटकता है जैसे हिरण, अपनी कस्तूरी के लिए, मैं भी भटकता हूं यहां अपनी खुशी के लिए…’,
सुमंत ने गयाजी की महत्ता पर कविता पाठ किया- ‘मैं गया हूं, पूरी दुनिया में शायद एकमात्र इकलाैता शहर, सम्मान से लाेग मुझे गयाजी कहते हैं…’ काव्य संध्या में अजीत कुमार, मुंद्रिका सिंह, नरेंद्र कुमार, डॉ सुधांशु, जयराम सत्यार्थी, संजू प्रसाद, नंद किशाेर सिंह, शिव प्रसाद सिंह मुखिया, खालिक हुसैन परदेसी ने मारीच बध ताे सिद्धनाथ मिश्र ने मन की व्यथा लाेगाें के बीच रखी. इस माैके पर राजेंद्र राज के निधन पर उनकी आत्मा की शांति के लिए दाे मिनट का माैन रख श्रद्धांजलि दी गयी. काव्य संध्या का संचालन डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने किया. इस माैके पर उपेंद्र सिंह, शैलेंद्र, अश्विनी सहित कई श्राेता माैजूद थे.