बिहार में शराबबंदी राज्य सरकार का सराहनीय कदम : दलाई लामा

गया : कालचक्र मैदान में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने हजारों उपासकों को दीक्षा देते हुए पंचशील का पाठ पढ़ाया. साथ ही हत्या, चोरी, झूठ, व्यभिचार और शराब के सेवन से दूर रहने को कहा. दलाई लामा ने कहा कि दीक्षा लेनेवालों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में शराब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2018 8:53 AM

गया : कालचक्र मैदान में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने हजारों उपासकों को दीक्षा देते हुए पंचशील का पाठ पढ़ाया. साथ ही हत्या, चोरी, झूठ, व्यभिचार और शराब के सेवन से दूर रहने को कहा. दलाई लामा ने कहा कि दीक्षा लेनेवालों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में शराब को बंद करना राज्य सरकार का सराहनीय कदम है. गांधीजी ने भी शराब को बंद करना चाहते थे. शराब बंद होने से बिहार को लाभ मिलेगा.

उन्होंने कहा कि शराब का सेवन से किडनी खराब हो जाता है. दुनिया में ज्यादातर लोग इसके कारण बीमार हो रहे हैं. दलाई लामा ने कहा कि शराब का सेवन बिल्कुल छोड़ दें, तो बेहतर होगा, पर अगर नहीं छोड़ सकें, तो इतना भी नहीं पीयें कि नशे में धुत हो जायें. दलाई लामा ने कहा कि आचार्य के आसन पर बैठ कर अगर कोई झूठ बोलता है, तो यह बड़ा झूठ होगा. उन्होंने उपासकों को दीक्षा देकर कहा कि ‘आज से जब तक जीवित रहुंगा बुद्ध की शरण में जाता हूं, बुद्ध धर्म की शरण में जाता हूं व संघ की शरण में जाता हूं’. उन्होंने उपासकों को इस वाक्य को तीन बार दुहराने को कहा.

स्वार्थ को त्याग कर करें परमार्थ

दलाई लामा ने उपासकों को दीक्षा देने के बाद कहा कि आज से स्वार्थी रूपी चित्त को त्याग कर परमार्थ के लिए काम करना शुरू करें. यह अगले जन्म में भी काम आयेगा. बौद्ध धर्मगुरु ने कहा कि बोधिचित्त की प्राप्ति के लिए हृदय में उसके प्रति निष्ठा होनी चाहिए. बोधिचित्त का अभ्यास करना चाहिए व बोधिचित्त की प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए. चित्त में उत्साह होने से ही बोधिचित्त को प्राप्त कर सकते हैं. बगैर उत्साह के यह संभव नहीं है और यह परहित से ही संभव है. उन्होंने कहा कि क्लेश व अज्ञानता के कारण हम बुराइयों को जान नहीं पाते. स्वार्थी चित्त एक तरह की बुराई है. इससे क्लेश पैदा होती है. हमारे अंदर की बुराइयों को दूर करने के लिए चित्त में परिवर्तन लाना चाहिए. मैं व स्वार्थ की भावना का त्याग करना चाहिए और इससे सुख की प्राप्ति होगी.

दलाई लामा ने दीक्षा देने के बाद परोपकार के फायदे से उपासकों को अवगत कराया व बोधिचित्त की प्राप्ति के लिए किये जानेवाले व्यवहार व कर्मों के बारे में जानकारी दी. अंत में पूजा व प्रार्थना कर उपासकों के बीच रक्षा सूत्र व कुश घास का वितरण कराया. कुश घास को रात में तकिया के नीचे रख कर सोने की सलाह दी. अब मंगलवार को दलाई लामा का प्रवचन समाप्त हो जायेगा व उपासकों को अभिषेक कराया जायेगा.

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