जैसे-तैसे रख लिये जाते हैं दैनिक वेतन कर्मचारी, नहीं होता पुलिस वेरिफिकेशन
लापरवाही. नगर निगम के कर्मचारियों पर हो रहे हमले के बाद चर्चाएं शुरू गया : नगर निगम में दैनिक वेतन पर कर्मचारी को रखने के लिए कोई मापदंड नहीं है. दैनिक वेतन कर्मियों के पुलिस वेरिफिकेशन, योग्यता व अन्य आवश्यक दस्तावेजों की जांच-पड़ताल यहां के लिए कोई मायने नहीं रखती. इन दिनों लगातार निगम कर्मचारियों […]
लापरवाही. नगर निगम के कर्मचारियों पर हो रहे हमले के बाद चर्चाएं शुरू
गया : नगर निगम में दैनिक वेतन पर कर्मचारी को रखने के लिए कोई मापदंड नहीं है. दैनिक वेतन कर्मियों के पुलिस वेरिफिकेशन, योग्यता व अन्य आवश्यक दस्तावेजों की जांच-पड़ताल यहां के लिए कोई मायने नहीं रखती. इन दिनों लगातार निगम कर्मचारियों पर हो रहे हमले के बाद यह चर्चा कार्यालय में हो रही है. यहां दैनिक वेतन पर कर्मचारियों को रखने में सिर्फ पैसा व पैरवी को प्राथमिकता दी जाती.
जानकारों का कहना है कि निगम में कई ऐसे भी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं, जो शहर से दूर दराज गांव के या फिर दूसरे जिले के हैं. ड्राइवर तक की यहां लाइसेंस की जांच नहीं की जाती है. इससे कई बार निगम को इन्हीं अनट्रेंड ड्राइवरों द्वारा दुर्घटना किये जाने के बाद जुर्माना भी देना पड़ा है.
इस बार निगम बोर्ड के गठन के तुरंत बाद ही मेयर, डिप्टी मेयर ने कहा था कि निगम के दैनिक कर्मचारियों की दक्षता की जांच की जायेगी. अयोग्य कर्मचारियों को हटाया जायेगा. कुछ ही दिनों में इस घोषणा को सभी ने भुला दिया. जल पर्षद में जलापूर्ति केंद्र के संचालन के लिए 123 कर्मचारियों को रखा गया है. इन्हें किसी तरह की तकनीकी ज्ञान नहीं है. इसके कारण शहर में जलापूर्ति आये दिन बाधित होती रहती है. क्योंकि मामूली खराबी को ठीक कराने के लिए बाहरी मिस्त्री का इंतजार करना पड़ता है.
पहले आ चुका है मामला सामने : पिछले दिनों मेयर, डिप्टी मेयर व नगर आयुक्त के सामने शहर से बाहर के आदमी को सफाई मजदूर में पैसा लेकर रखने का मामला सामने आ चुका है. सफाई मजदूर ने सब के सामने कबूल किया था कि वार्ड नंबर 52 में पैसा लेकर हमें स्थायी नौकरी देने की बात कही गयी थी. इससे पहले भी कई वार्डों में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं.
नगर निगम के एक अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि यहां के दैनिक कर्मचारियों के पुलिस वेरिफिकेशन होगा, तो कई पर पुलिस मामले लंबित मिल जायेंगे. इन्हें रखने में पिछले दिनों अधिकारी, पार्षद व कर्मचारी किसी ने अपने आपको पीछे नहीं रखा है. इतना ही नहीं इन कर्मचारियों को बहाली का लेटर भी दिया गया है. जानकारों का कहना है कि किसी मकान में किराया पर रहने से पहले पूरी तौर से छानबीन की जाती है. यहां कुछ भी नहीं लिया जाता है