हर दिन 40 लाख लीटर बोतलबंद पानी की खपत
ग्राउंड वाटर लेवल गिरने के साथ हुआ प्रदूषित भी खर्च से काफी कम पानी की सप्लाई कर रहा है जल पर्षद निगम के पास अब तक योजनाएं गिनाने के सिवाय जमीन पर कुछ भी नहीं गया : जल ही जीवन है, लेकिन धर्म नगरी गया में गर्मी शुरू होते ही पानी के लिए हर जगह […]
ग्राउंड वाटर लेवल गिरने के साथ हुआ प्रदूषित भी
खर्च से काफी कम पानी की सप्लाई कर रहा है जल पर्षद
निगम के पास अब तक योजनाएं गिनाने के सिवाय जमीन पर कुछ भी नहीं
गया : जल ही जीवन है, लेकिन धर्म नगरी गया में गर्मी शुरू होते ही पानी के लिए हर जगह लोग परेशान सा दिखने लगे हैं. यहां ग्राउंड वाटर प्रदूषित होने व सप्लाई वाटर की शुद्धता भी मानक के अनुसार न होने पर पिछले 10 वर्षों की तुलना में लोगों की निर्भरता बोतलबंद पानी पर बढ़ी है. वर्तमान में शहर के अधिकांश हिस्सों में फल्गु नदी में बोरिंग कर वाटर सप्लाइ की जाती है. नदी किनारे व आसपास के इलाकों में कई नये मुहल्ले बसे हैं. वहां के घरों से निकलनेवाला गंदा पानी नदी में गिराया जाता है.
शहरी क्षेत्र में भी नाला अतिक्रमण के कारण गंदा पानी जमा रहता है. इसके कारण फल्गु नदी के पूर्वी छोर का पानी व कई मुहल्लों का अंडर ग्राउंड वाटर प्रदूषित हो गया है. वर्तमान में शहर में हर दिन 40 लाख लीटर बोतबंद पानी की खपत हो रही है, जबकि 60 लाख लीटर पीने का पानी का पानी उपयोग किया जा रहा है. आज से 10 वर्ष पहले अधिकांश लोग सप्लाइ वाटर का उपयोग पीने में करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. शहर के अधिकांश घरों में बोतलबंद पानी ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि सप्लाइ वाटर पीने योग्य नहीं होता है. फल्गु नदी में गर्मी शुरू होते ही पानी समाप्त हो जाता है.
पिंडदानी को तर्पण आदि के लिए भी पानी खरीदना पड़ता है. यहां के बस स्टैंडों व रेलवे स्टेशन आदि सार्वजनिक जगहों पर पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग खरीद कर पानी पीते हैं. जानकारों का कहना है कि कई मुहल्लों में अंडर ग्राउंड वाटर लेवल ही प्रदूषित हो गया है. इसके साथ ही यहां पाइपलाइन से भी पीने योग्य पानी की सप्लाइ नहीं दी जाती है. साथ ही जल पर्षद खर्च से काफी कम पानी की सप्लाई कर रहा है. वहीं, निगम के पास अब तक योजनाएं गिनाने के सिवाय जमीन पर कुछ भी नहीं है. ऐसे में लोग मजबूरी में पीने के लिए आरओ वाटर इस्तेमाल करते हैं.
पीने व आम काम के लिए अलग-अलग वाटर सप्लाई की नहीं है व्यवस्था : बड़े शहरों में डबल सर्फेसिंग वाटर पीने के लिए व अन्य कामों के लिए सामान्य पानी की सप्लाई दी जाती है. यहां एक तरह के पानी की सप्लाई की जाती है. इसका ही इस्तेमाल लोगों को पीने से लेकर सभी कामों में करना होता है. शुद्धीकरण प्लांट लगने के बाद पानी की बर्बादी न हो इसके लिए यहां भी अन्य काम के लिए अलग से वाटर सप्लाई की व्यवस्था देनी होगी.
जगह-जगह पानी होता है बर्बाद : शहर में जगह-जगह लगाये गये स्टैंड पोस्ट में नल नहीं लगाये गये हैं. इसके कारण हजारों लीटर पानी हर रोज बर्बाद होता है. इस बात की चिंता आम लोग व विभागीय अधिकारी दोनों में से कोई नहीं करता. आम लोग हर बार सिर्फ पानी बर्बादी की शिकायत अधिकारियों के पास जरूर पहुंचा देते हैं. अधिकारी भी आश्वासन देकर उन्हें चलता कर देते हैं. इसके साथ ही शहर में हजारों जगहों पर सप्लाइ पाइपलाइन लीकेज है. इससे भी पानी का रिसाव हर वक्त होते रहता है. घरों में प्राइवेट बोरिंग के सहारे लगाये गये टंकी को भरते समय भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. हजारों लीटर पानी यहां भी सिर्फ ध्यान नहीं दिये जाने के कारण बर्बाद होता है.
कुछ लोगों के लिए फैशन हो गया आरओ का पानी
कुछ जगहों पर सारी व्यवस्था होने के बाद भी लोग फैशन में आरओ का पानी पी रहे हैं. पार्टी, प्रोग्राम, सरकारी-गैरसरकारी मीटिंग आदि में बोतल बंद आरओ वाटर का ही इस्तेमाल होता है. इसके कारण वर्तमान में बाहर से आनेवाले बोतलबंद पानी को छोड़ शहर में करीब 100 आरओ प्लांट चलाये जा रहे हैं.
वाटर लेवल की स्थिति
स्थान
वर्तमान वाटर लेवल(फुट में)
गर्मी में लेवल रहने की संभावना
होटल में कुछ खाने पर ही मिलता है पानी
रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि सार्वजनिक जगहों पर होटल, ठेला आदि पर कुछ खाने के बाद ही पानी दिया जाता है. यहां पहुंचनेवाले सभी लोगों के पास यह सामर्थ्य नहीं होता कि बोतलबंद पानी खरीद सकें. उनके सामने यह मजबूरी हो जाती है कि वहां से कुछ खाने के लिए खरीदें और फिर पानी पियें. क्योंकि यहां प्राइवेट से सरकारी बस स्टैंड में पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. यहां आस-पास होटल व ठेलावाले भी मजदूर रख कर दूर से पानी लाते हैं. सुबह से इनके कई मजदूर पानी इंतजाम करने में लग जाते हैं. गर्मी में यह स्थिति और बदतर हो जाती है.
अच्छे स्वास्थ्य के साथ रोजगार भी
आरओ प्लांट लगाने से एक खुशी होती है कि लोगों का शरीर स्वस्थ रखने के लिए वाटर सप्लाइ के साथ बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं. इसमें बेहतर काम किया जाये, तो यह घाटे का व्यापार किसी मायने में नहीं है. हमारे यहां अब हर मौसम में पानी की मांग रहती है. गर्मी में मांग बढ़ जाती है.
अभिषेक कुमार सिंह, आरओ प्लांट प्रोपराइटर
पानी खरीद कर करना पड़ रहा पिंडदान
बस स्टैंड में बोतलबंद पानी ही सहारा
पानी के लिए स्थायी व्यवस्था नहीं
शुद्ध वाटर सप्लाई की जल्द हो रही व्यवस्था