शौचालय के लिए बहू ने सास को सौंप दिये गहने, बहू की जिद्द से बदली परिवार की सोच
जितेंद्र मिश्र @ गया स्वच्छ भारत मिशन से प्रभावित होकर एक परिवार की बहू ने घर में शौचालय बनाने के लिए अपने गहने निकाल कर सास को सौंप दिये. बहू की सोच को सही मानते हुए उनकी सास ने उनके गहने लौटा दिये और घर में दूध देनेवाली गाय को बेच कर शौचालय बनवा कर […]
जितेंद्र मिश्र @ गया
स्वच्छ भारत मिशन से प्रभावित होकर एक परिवार की बहू ने घर में शौचालय बनाने के लिए अपने गहने निकाल कर सास को सौंप दिये. बहू की सोच को सही मानते हुए उनकी सास ने उनके गहने लौटा दिये और घर में दूध देनेवाली गाय को बेच कर शौचालय बनवा कर ही दम लिया. जिले के बाराचट्टी प्रखंड के शर्मा पंचायत के तिवारीचक गांव की महिला तेतरी देवी ने चार साल पहले अपने बेटे की शादी कर घर में पढ़ी-लिखी बहू लाने का सपना पूरा किया था. ससुराल में शौचालय नहीं रहने के कारण पढ़ी-लिखी बहू को भी शौच के लिए खुले में जाना पड़ता था. बहू और परिवारवालों के बीच घर में शौचालय बनवाने को लेकर विवाद होते रहते थे. सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत चलाये जा रहे अभियान के बारे में बहू ने अपने ससुराल वालों को इसके फायदे गिनाये. लेकिन, सास-ससुर और पति ने यह कहते हुए टाल दिया था कि उनके पास पैसा नहीं है. यह बात सुनते ही बहू रेखा शर्मा ने शौचालय बनवाने के लिए अपने सारे गहने निकाल कर सास के हाथों में सौंप दिये. इसके बाद परिवार के सदस्यों को समझ में आया कि गहने से भी ज्यादा जरूरी अब शौचालय है.
गाय के दूध पीते थे रेखा देवी के बीमार ससुर
तिवारीचक गांव की रहनेवाली तेतरी देवी की उम्र 70 वर्ष के करीब है. शौचालय बनाने के लिए उन्होंने अपनी गाय भी बेच दी. बताया गया है कि गाय का दूध उनके बीमार पति कैलाश शर्मा पीते थे. तेतरी देवी कहती हैं कि बहू ने शौचालय बनाने के लिए जब अपना जेवर लाकर दे दिया, तो सोच में पड़ गयी. इसके बाद एहसास हुआ कि जेवर से भी ज्यादा कीमती तो इज्जत है. उसके बाद तुरंत फैसला किया और गाय को 14 हजार रुपये में बेच दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद हमारे इस काम में बेटा श्रीकांत शर्मा ने भी साथ दिया. शौचालय का काम पूरा करने में घर के सभी सदस्य साथ दे रहे हैं. अब शौचालय के लिए बहू द्वारा देखा गया सपना धरातल पर उतरता दिख रहा है. उन्होंने कहा कि गाय कई बार खरीदी-बेची जा सकती है, पर इज्जत तो बहुमूल्य है.
घर में लानी चाहिए शिक्षित बहू
रेखा देवी के ससुर कैलाश शर्मा कहते हैं कि घर में शिक्षित बहू आने के बाद ही हमारे परिवार की सोच बदल सकी है. हमलोग पहले की तरह सोच रहे थे कि शौचालय के लिए खुले में ही जाना ठीक होता है. उन्होंने कहा कि बहू शादी के बाद से शौचालय बनाने की जिद्द कर रही थी. हमारे पास इतना पैसा नहीं था कि उसकी जिद्द को पूरा कर सकते. बहू ने शौचालय बनाने के लिए अपनी जेवर तक देने को तैयार हो गयी, तब जाकर इसकी अहमियत के बारे में पता चला. अब हमारे घर के कोई भी सदस्य खुले में शौच के लिए नहीं जायेंगे. इधर, रेखा शर्मा के पति श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि पत्नी शौच के लिए खुले में जाये. यह हमलोगों को खराब लगता था पर अब सब कुछ अच्छा लग रहा है. अब गांव में अन्य लोग भी अपने घरों में शौचालय बनाने लगे हैं.