हर स्तर पर हो कोशिश, ताकि बेरंग न हो जाये किसी का बचपन
गया : देश-समाज के एक वर्ग का मानना है कि आर्थिक उदारीकरण और भौतिक विकास की जल्दबाजी ने इंसानी दुनिया में काफी उथल-पुथल मचा रखा है. आम आदमी की जिंदगी पर इसका काफी गहरा प्रभाव पड़ा है. और अगर सब कुछ प्रभावित हुआ है, तो आखिर इससे बचपन कैसे अछूता रह सकता है? विकास के […]
गया : देश-समाज के एक वर्ग का मानना है कि आर्थिक उदारीकरण और भौतिक विकास की जल्दबाजी ने इंसानी दुनिया में काफी उथल-पुथल मचा रखा है. आम आदमी की जिंदगी पर इसका काफी गहरा प्रभाव पड़ा है. और अगर सब कुछ प्रभावित हुआ है, तो आखिर इससे बचपन कैसे अछूता रह सकता है? विकास के अच्छे-बुरे प्रभावों से अनजान बच्चों की जिंदगी के भी कई अवयव बेपटरी हुए हैं. बच्चों की जिंदगी से बाहर होता बचपन भी इसी का नतीजा माना जा रहा है. ऐसे में सरकार व समाज, दोनों के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि बचपन केहर स्तर पर हो…
राग-रंग को कैसे बचाया जाये. प्रभात खबर ने इसे अपना सामाजिक-नैतिक दायित्व मानते हुए एक ऐसा राज्यव्यापी अभियान छेड़ा है, जिसका मकसद बच्चों के जीवन में बचपन को मजबूत जगह दिलाना है. ‘बचपन बचाओ’ नाम से छिड़ी प्रभात खबर की इस मुहिम के तहत गुरुवार को गया के इंडियन सेंट्रल स्कूल में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें स्कूली छात्र-छात्राओं से उनके बचपन के बाबत तो बातें हुईं ही, उन्हें इस बात का भी एहसास कराया गया कि भविष्य में वे भी सुनिश्चित करेंगे कि आर्थिक-सामाजिक या अन्य कारणों से उनके सामने भी किसी बच्चे का बचपन न छिने.
पढ़ाई िलखाई के साथ अन्य गतिविधियों से भी जुड़े बच्चे : डॉ धीरज
ऊपरोक्त कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों को संबोधित करते हुए गया कॉलेज, गया, में शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय धीरज ने उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ ही अन्य गतिविधियों से भी जुड़े रहने की सलाह दी, ताकि स्टडी बोझ न बने व बचपन का आनंद भी उनके साथ रहे. इससे स्टूडेंटशिप में खुशहाली तो बढ़ेगी ही, लगे हाथ पढ़ाई-लिखाई
पढ़ाई िलखाई के साथ…
भी और रोचक होगी. उन्होंने बच्चों से कहा कि वे देश-समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. और इसलिए उनका बचपन भी बहुत मायने रखता है. डॉ धीरज ने कहा कि वे पढ़ाई-लिखाई को इस तरह न लें कि जीवन केवल कॉपी-कलम व किताबोें तक सिमट कर रह जाये. उनके मुताबिक, दुनिया इससे आगे भी है.