योग मजहब नहीं, बदलता है आपका जीवन : बाबा रामदेव
गया : गांधी मैदान में शनिवार की सुबह पतंजलि योग समिति व भारत स्वाभिमान की आेर से आयोजित योग चिकित्सा सह विज्ञान शिविर शुरू हुआ. स्वामी रामदेव ने योग विद्या के साथ-साथ लोगों को राष्ट्र सेवा और धर्म का भी ज्ञान दिया. सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक चले इस शिविर में हजारों […]
गया : गांधी मैदान में शनिवार की सुबह पतंजलि योग समिति व भारत स्वाभिमान की आेर से आयोजित योग चिकित्सा सह विज्ञान शिविर शुरू हुआ. स्वामी रामदेव ने योग विद्या के साथ-साथ लोगों को राष्ट्र सेवा और धर्म का भी ज्ञान दिया. सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक चले इस शिविर में हजारों लोगों को योग सिखाते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि योग किसी भी व्यक्ति का मजहब नहीं बदलता. यह लोगों का जीवन बदलता है. उनके विचारों को शुद्ध करता है. योग शरीर को निरोग व शुद्ध करने की प्रकिया है. इसे किसी धर्म के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ‘ ऊं ‘ एक शब्द है, कोई धर्म नहीं.
इसका उच्चारण शरीर को ऊर्जा देता है. यह वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध है. वह चाहते हैं कि देश का हर व्यक्ति स्वस्थ हो. योग ही इसका रास्ता है. इस दौरान उन्होंने कई योग विद्याओं का ज्ञान दिया. साथ ही उनका अभ्यास करने से होनेवाले लाभ की भी जानकारी दी.
पहला इश्क इस देश से करो : स्वामी रामदेव ने राष्ट्र हित और विकास को सर्वोपरि बताया. उन्होंने कहा कि घर की छोटी- छोटी जिम्मेदारियों से परेशान होकर और उसमें उलझ कर रहने से इस देश का विकास नहीं होगा. लोगों को अपनी निजी उलझनों से बाहर निकलना होगा. अपना वक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए देना होगा. उन्होंने कहा कि किसी भी सांस्कृतिक या धार्मिक कार्यक्रम में लोग जाते हैं, तो प्रेम व भाईचारे का संदेश देनेवाले गीत सुनते हैं. फिर बाहर जाकर धर्म और जाति के नाम पर झगड़ा करते हैं. यह गलत है. हर इंसान का दर्द एक समान है, दवा एक है, इलाज एक है, तो फिर झगड़ा किस बात का है. क्यों लोग इन चीजों में उलझ कर अपना और देश का नुकसान कर रहे हैं. उन्होंने युवाओं से कहा कि इश्क करना है करो, लेकिन यह ध्यान रहे कि इस देश के हर युवा को पहला इश्क अपने देश से हो. इसमें कोई समझौते की संभावना ही न रहे.
जो शरीर शुद्ध है, वही बुद्ध है
स्वामी रामदेव ने कहा कि लोग मंदिरों में भगवान ढूंढ़ रहे हैं. परेशान हो कर भटक रहे हैं. उन्हें यह समझना होगा कि भगवान मंदिरों में नहीं मिलेंगे. ब्रह्म व्यक्ति के अंदर है. योग व ध्यान से ही ब्रह्म का ज्ञान होगा. उन्होंने कहा कि ब्रह्म के ज्ञान ने ही सिद्धार्थ को बुद्ध बनाया. ब्रह्म ज्ञान ही शरीर को शुद्ध करता है. जो शरीर शुद्ध है, वही बुद्ध है. उन्होंने कहा कि अपने भीतर की दिव्यता को जान लेना ही जीते जी निर्वाण है. यही संबोधि है. योग मनुष्य को मर्यादित बनाता है. योग ही तो राम है. ‘ जिसने स्वयं को जीता उसने जगत को जीता, वेदों का यह कहना, कहती यही है गीता…….’ इस गीत के साथ उन्होंने लोगों को पूरा ज्ञान दिया.
देश को आर्थिक आजादी दिलाने का संकल्प : कार्यक्रम के दौरान स्वामी रामदेव ने विदेशी कंपनियों पर भी प्रहार किया. उन्होंने कहा कि 1947 से पहले एक ईस्ट इंडिया कंपनी देश को लूट रही थी. आज सैकड़ों-हजारों विदेशी कंपनियों ने अपने देश के आर्थिक ढांचे पर कब्जा कर रखा है.
लोगों को महंगा सामान देकर देश का पैसा लूट कर बाहर ले जा रहे हैं. देश को इसी कब्जे से आजाद कराने के लिए उन्होंने पतंजलि की नींव रखी. घर-घर तक इसे पहुंचाया, ताकि देश का पैसा देश में रहे. लोगों को अच्छी चीजें मिले. देश के लोगों को पता चले कि यह मिट्टी विश्व की सर्वश्रेष्ठ है. यहां हर चीज मिलती है. फिर क्यों, हम विदेशी उत्पादों को खरीदते हैं. इस देश को विदेशी कंपनियों से आजाद करा कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है.