घबराने की जरूरत नहीं, निपाह वायरस को लेकर बरतें सावधानी
गया : केरल के कोझीकाेड में निपाह वायरस के प्रकोप और लोगों की जान जाने के बाद देश भर में अलर्ट जारी किया गया है. बिहार में भी इसके संक्रमण का खतरा बना हुआ है. यही कारण है कि जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्क रहने को कहा गया […]
गया : केरल के कोझीकाेड में निपाह वायरस के प्रकोप और लोगों की जान जाने के बाद देश भर में अलर्ट जारी किया गया है. बिहार में भी इसके संक्रमण का खतरा बना हुआ है. यही कारण है कि जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्क रहने को कहा गया है.
गया को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. कारण जिले का पहले से ही जापानी इनसेफ्लाइटिस (जेइ) से प्रभावित होना है. निपह वायरस और जेइ से प्रभावित लोगों के अधिकतर लक्षण और कारण समान ही हैं. अंतर बस इतना सा है कि जेइ से अधिकतर बच्चे प्रभावित होते हैं और निपाह वायरस हर किसी को अपना शिकार बना लेता है.
जिले में ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि लोगों को इस वायरस की जानकारी दें. प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आनेवाले लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है. साथ ही आशा व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी जिम्मेदारी दी गयी है.
सूअर और चमगादड़ हैं कारण
जेइ की तरह यह वायरस भी लोगों के शरीर में जानवरों के ही माध्यम से प्रवेश करता है. मुख्य तौर पर सूअर व चमगादड़ ही इसके वाहक हैं. इनके शरीर से होकर इंसान के शरीर तक पहुंचने वाले मच्छरों से ही यह वायरस फैलता है. जिले में पहले से ही इनकी वजह से जेइ का प्रकोप रहा है. हर साल के जिले के विभिन्न इलाकों में बच्चे इसकी चपेट में आते हैं और उनकी मौत हो जाती है. स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों से सुअर व गंदगी वाले क्षेत्र से दूर रहने की अपील कर रहे हैं.
ताड़ी पीनेवाले हो जाएं सावधान
निपाह वायरस का सबसे बड़ा वाहक चमगादड़ है. ग्रामीण इलाकों में चमगादड़ अधिक मिलते हैं. खजूर के पेड़ पर भी उसका वास होता है. जानकारों के मुताबिक, चमगादड़ रात में इन पेड़ों पर बैठते हैं. इसकी वजह से खजूर का रस जिसे लोग ताड़ी या नीरा कहते हैं, वह संक्रमित हो सकता है. चिकित्सक फिलहाल लोगों को ताड़ी व नीरा पीने के लिए मना करा रहे हैं. इसके साथ ही वैसे फलों को भी खाने से बचें, जिन्हें जानवरों ने थोड़ा खाकर फेंक दिया हो. पेड़ों पर बैठे चमगादड़ फलों को जूठा कर देते हैं. इन फलों को खानेवाला व्यक्ति निपाह वायरस से प्रभावित हो सकता है.
संक्रामक श्रेणी का है वायरस
निपाह वायरस से प्रभावित व्यक्ति में जो लक्षण पाये जाते हैं, वह जेइ और एइएस से प्रभावित व्यक्ति के जैसे ही होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, निपाह वायरस से प्रभावित व्यक्ति के दिमाग में सूजन हो जाता है. इसकी वजह से उसके कोमा में जाने की आशंका बढ़ जाती है. इस वायरस से होनेवाली बीमारी का सबसे खतरनाक पक्ष यह है कि यह संक्रामक श्रेणी में आता है. मतलब एक आदमी से दूसरे तक फैलने की पूरी संभावना है. अब तक इसके प्रभाव को खत्म करने के लिए कोई कारगर इलाज तैयार नहीं हो सका है. प्रभावित व्यक्ति की सत्यता जांचने के लिए उसके शरीर से लिये गये सैंपल पुणे स्थित एक लैबोरेटरी में भेजे जाते हैं.
निपाह वायरस का इतिहास
निपाह वायरस की पहचान सबसे पहले सितंबर 1998 में हुई थी. मलेशिया और सिंगापुर में इससे प्रभावित लोग मिले. दोनों देशों में सूअर पालन करने वाले लोग ही इसकी चपेट में आये थे. निपह नाम भी मलेशिया के उस गांव का है जहां लोग इस वायरस की चपेट में आये थे. अप्रैल 1999 तक मलेशिया में 103 लोगों की जान चली गयी थी. भारत में 2001 में पहली बार इस वायरस के होने के संकेत मिले. पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के लोग इस वायरस की चपेट में आये.
जानकारी के मुताबिक इसमें लगभग 45 लोगों की जान चली गयी थी. 2007 में पश्चिम बंगाल के ही नदिया जिले में पांच मामले आये थे. सभी एक ही परिवार से थे और सभी की मौत हो गयी थी. 2001 में बांग्लादेश के भी कुछ इलाके निपाह वायरस की चपेट में आये थे. बताया जाता है कि यहां भी लगभग 100 लोगों की जान गयी थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इबोला और जिका के बाद निपाह को बेहद खतरनाक वायरस में शामिल किया है.
बचाव के उपाय
- चमगादड़ों वाले इलाके में अधिक सावधान रहें.
- सूअर व सूअरों के संपर्क में रहनेवाले लोगों से दूर रहें.
- गिरे हुए या जानवरों द्वारा खाये गये फलों को खाने से बचें.
- केरल से आनेवाले फलों को अच्छी तरह से धोकर खाएं .
- केला, आम व खजूर को लेकर विशेष सतर्क रहें.
- ताड़ व खजूर के रस, ताड़ी, नीरा का सेवन न करें.
- यदि सब्जियों पर जानवरों के काटे का निशान हो तो उन्हें खरीदने से बचें.
- अधिक भीड़वाली जगहों पर जाने से परहेज करें व चेहरे पर मास्क लगा कर सफर करें.
- व्यक्तिगत स्वच्छता का जरूर ध्यान रखें.
लक्षण
- अचानक बुखार आना.
- सिरदर्द.
- मांसपेशियों में दर्द.
- मानसिक भ्रम होना.
- उल्टी या उल्टी जैसा महसूस होना.
किया गया है अलर्ट
निपाह वायरस के लक्षण व कारण दोनों ही जापानी इनसेफ्लाइटिस से मिलते-जुलते हैं. प्रमंडल के सभी जिलों के सिविल सर्जन समेत अन्य पदाधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है. कहा गया है कि किसी में निपाह वायरस के लक्षण दिखे, तो तुरंत इलाज शुरू करें और मुख्यालय को जानकारी दें. इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्यकर्मी लोगों को सजग और सतर्क करें.