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मेडिकल काॅलेज को पूरी करनी होंगी शर्तें

गया : मगध मेडिकल काॅलेज में नये सत्र में एमबीबीएस की सभी 100 सीटों पर नामांकन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता तो तैयार कर दिया है. लेकिन कोर्ट ने तीन महीनों में चीजों को बेहतर करने की शर्त भी रखी है. यह मेडिकल काॅलेज के लिए बड़ी चुनौती है. जो काम वर्षों से नहीं […]

गया : मगध मेडिकल काॅलेज में नये सत्र में एमबीबीएस की सभी 100 सीटों पर नामांकन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता तो तैयार कर दिया है. लेकिन कोर्ट ने तीन महीनों में चीजों को बेहतर करने की शर्त भी रखी है. यह मेडिकल काॅलेज के लिए बड़ी चुनौती है. जो काम वर्षों से नहीं हो सका है, क्या वह केवल तीन महीनों में संभव हो सकेगा? यह बड़ा सवाल है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फरमान और शर्तों को पूरा करने के निर्देश के बाद से मेडिकल काॅलेज प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गये हैं. हर उस बिंदु पर काम शुरू हो गया है जिस पर मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआइ) लगातार आपत्ति जता रही है. मेडिकल काॅलेज के पास इन तीन महीनों में चीजों को बेहतर करने के अलावा कोई उपाय भी नहीं है, क्योंकि इस बार फेल हुए तो शायद सुप्रीम कोर्ट भी रहम न करे.
देखना दिलचस्प होगा कि सितंबर में जब राज्य सरकार कोर्ट के समक्ष हाजिर होगी तब मेडिकल काॅलेज के किन-किन उपलब्धियों का जिक्र होगा. गौरतलब है कि एमसीआइ ने अपने निरीक्षण के बाद मगध मेडिकल काॅलेज, बेतिया मेडिकल काॅलेज व पावापुरी मेडिकल काॅलेज के लिए आवंटित सीटों में कटौती कर दिया था. इसके बाद राज्य सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गयी. 18 जून को सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सशर्त नामांकन की मंजूरी दी.
इन्फ्रास्ट्रक्चर सबसे बड़ी चुनौती : मगध मेडिकल काॅलेज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बड़ी चुनौती रही है. एमसीआइ बीते कई वर्षों से लगातार इस पर ही बात करती रही है. कैंपस में कुछ भवनों का निर्माण तो हो रहा है, लेकिन तीन महीनों में यह पूरा होगा यह संभव नहीं है. ऐसे में काॅलेज प्रबंधन जो बेसिक जरूरतें हैं, उन्हें ठीक करने में लगी है. काॅलेज के उन कमरों को साफ किया जा रहा है जो वर्षों से बंद पड़े हैं. जर्जर छात्रावासों की स्थिति में सुधार के लिए काम शुरू किया गया है. काॅलेज के प्राचार्या डाॅ एचजी अग्रवाल व अधीक्षक डाॅ सुधीर कुमार सिन्हा ने सभी विभागों के अध्यक्षों को भी गंभीरता से काम करने का निर्देश दिया है.
फैकल्टी की कमी दूर करने का प्रयास : काॅलेज में फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है. एमसीआइ की रिपोर्ट में यहां प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी है. इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जानकारी के मुताबिक सरकार ने मेडिकल काॅलेज के सभी विभागों में फैकल्टी से जुड़ी पूरी जानकारी मांगी है. सरकार द्वारा तय तीन महीने से पहले ही चीजों को बेहतर कर देने के वादे पर ही कोर्ट ने मेडिकल काॅलेज को नामांकन की मंजूरी दी है. अस्पताल में सभी वार्ड में बेड की संख्या बढ़ाने की भी तैयारी हो रही है.
प्रबंधन बेहतर हो, तो नहीं होगी समस्या : मगध मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ एचजी अग्रवाल का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने जो वक्त दिया है उससे पहले ही यहां की सभी व्यवस्थाओं को ठीक करा दिया जायेगा. हमारा प्रयास है कि बेहतर प्रबंधन के साथ काम करें और एमसीआइ के मानकों पर काॅलेज को खड़ा कर दें. कैंपस का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि हर उस चीज को चिह्नित किया जाये जिसकी वजह से समस्या हो रही है.

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