विपश्यना से मनुष्य के अंदर चलने वाले विचारों को किया जाता है नियंत्रित”

गया : सीआरपीएफ कैंप स्थित बाल सुधार गृह का नजारा गुरुवार को अलग था. बाल कैदी स्कूल कक्ष में ध्यान की मुद्रा में बैठे थे. बीच-बीच में उन्हें ध्यान से होने वाले फायदों के बारे में बताया जा रहा था. यहां के बाल कैदियों को सही दिशा में ले जानी की कोशिश में लगी सीआरपीएफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2018 5:18 AM
गया : सीआरपीएफ कैंप स्थित बाल सुधार गृह का नजारा गुरुवार को अलग था. बाल कैदी स्कूल कक्ष में ध्यान की मुद्रा में बैठे थे. बीच-बीच में उन्हें ध्यान से होने वाले फायदों के बारे में बताया जा रहा था. यहां के बाल कैदियों को सही दिशा में ले जानी की कोशिश में लगी सीआरपीएफ 159 बटालियन और बोधगया स्थित अंतरराष्ट्रीय विपश्यना मेडिटेशन केंद्र के सहयोग से विपश्यना शिविर का आयोजन किया गया था. शिविर में सभी बाल कैदियों ने भाग लिया.
सीआरपीएफ 159 बटालियन के कमांडेंट डॉ निशीत कुमार ने सर्वप्रथम विपश्यना ध्यान के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह ध्यान की सबसे प्राचीन पद्धति है. जिसके जरिये मनुष्य के अंदर चलने वाले विचारों को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं प्रशिक्षक के तौर पर मौजूद एसएन गोयनका के निर्देशन में सभी लोगों ने इस ध्यान का लाभ उठाया. इस मौके पर उल्हारा फूलजेले, स्वामी जी, आनंद, समेत सीआरपीएफ 159 बटालियन के द्वितीय कमान अधिकारी संजय त्रिपाठी, उप कमांडेंट मोतीलाल, चिकित्सा पदाधिकारी अभिनव कुमार वर्मा, बाल सुधार गृह के अधीक्षक अरुण कुमार आदि मौजूद थे.

Next Article

Exit mobile version