गुजर गये आषाढ़ के 10 दिन, पर धनराेपनी की महज सुगबुगाहट

गया : खेतीबारी के संबंध में एक कहावत खूब चर्चित रही है. ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’ तात्पर्य कि जब फसल बाेने का समय गुजर गया तब बारिश हाे, ताे फिर ऐसी बारिश का क्या मतलब. जब खेताें में पटवन के लिए पानी की जरूरत हाे, उस समय बारिश ही न हाे. समय बीत जाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2018 3:51 AM
गया : खेतीबारी के संबंध में एक कहावत खूब चर्चित रही है. ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’ तात्पर्य कि जब फसल बाेने का समय गुजर गया तब बारिश हाे, ताे फिर ऐसी बारिश का क्या मतलब. जब खेताें में पटवन के लिए पानी की जरूरत हाे, उस समय बारिश ही न हाे. समय बीत जाने के बाद मूसलधार बारिश भी बेकार ही है. आैर, माैसम की जाे स्थिति इस बार देखने काे मिल रही है, वह कुछ ऐसा ही बयां कर रही है. अब तक मॉनसून का न आना यह जता रहा है कि सूखे की स्थिति बन सकती है.
महज 0.21 प्रतिशत ही अब तक हुई धान की राेपनी : किसान व कृषि विभाग के अधिकारी अब चिंतित दिखने लगे हैं. किसान यह कहने लगे हैं कि एक सप्ताह आैर ऐसी ही स्थिति रही ताे गया जिला सूखे की चपेट में हाेगा. धान के बीज बाेने का समय छह सप्ताह लेट हाे चुका है. आैर कृषि विभाग की रिपाेर्ट बतला रही है कि अब तक जिले में महज 82 प्रतिशत यानी 12,736 हेक्टेयर में ही धान की बाेआई की जा सकी है. धान के बिचड़े( माेरी) का ट्रांसप्लांटेशन यानी बिचड़े की बाेआई अब तक जिले में महज 325 हेक्टेयर भूमि पर ही हाे पायी है.
गाैरतलब है कि जिले में बिचड़ा लगाने का लक्ष्य एक लाख 53 हजार हेक्टेयर भूमि पर है. लक्ष्य के विपरीत 0.21 प्रतिशत भूमि पर ही धान की राेपनी की जा सकी है. आषाढ़ महीने के 10 दिन बीत चुके हैं. 20 दिन बाद सावन का महीना आ जायेगा. आद्रा नक्षत्र तीन दिन पहले ही समाप्त हाेकर पुनर्वसु नक्षत्र शुरू हाे गया है. अब ऐसे में किसान व कृषि विभाग के अधिकारियों के ललाट पर बारिश की बूंदाें की जगह पसीने की बूंदें दिखायी पड़ रही हैं.
90 से 110 दिनाें में हाेनेवाले धान के बीज ही डालें : कृषि विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अब यदि किसान धान के बीज बाेते हैं ताे उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि 90 से 110 दिनाें में हाेनेवाले धान के प्रभेद (किस्म) जैसे प्रभात, शताब्दी, सराेज, साकेत-चार, हीरा आदि हैं. ये अल्प अवधि में तैयार हाे जाते हैं. अब वर्षापात पर नजर दाैड़ायें ताे स्थिति काफी चिंताजनक है. आैर अब भी आसमान में बादल जब कभी सिर्फ उमड़-घुमड़ ही रहे हैं, बारिश नहीं करा रहे.
धूप ऐसे खिल रही है जैसे बैशाख की दाेपहर हाे. जून में भी बारिश काफी कम हुई है. जुलाई में 294.5 मिलीमीटर पानी की जरूरत के विपरीत अब तक महज 39.6 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. माैसम विभाग के पूर्वानुमान में बताया जा रहा है कि अभी मॉनसून के इस सप्ताह भी नहीं आने की स्थिति है. माैसम इसी तरह सूखा रहेगा, जब-कभी छिटपुट बारिश हाे जाने की संभावना जतायी जा रही है.
एक एकड़ में दाे सिंचाई के लिए किसानों काे मिलेंगे आठ साै रुपये
माैसम की बेरुखी के मद्देनजर कृषि विभाग काे शनिवार काे ही मुख्यालय से चिट्ठी आयी है. डीजल अनुदान के लिए एक किसान काे 40 रुपये प्रति लीटर डीजल खरीद के लिए रुपये मिलेंगे. एक किसान काे एक एकड़ भूमि सिंचाई हेतु सरकार दाे बार पटवन के लिए आठ साै रुपये देगी. यह डीजल खरीद के बाद उसके कागजात जमा करने के बाद रुपये सीधे किसान के खाते में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से चला जायेगा. साेमवार काे जिले के सभी प्रखंडाें में केसीसी कैंप लगाया जा रहा है. इससे किसानाें काे लाभ मिलेगा.

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