शौचालयविहीन साढ़े छह हजार घर ओडीएफ अभियान में बाधा

गया : स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये जा रहे व्यक्तिगत शौचालय का काम निगम क्षेत्र में धीमी गति से चल रहा है. इसकी रफ्तार को देख कर ऐसा नहीं लगता कि अगले एक वर्ष में भी शहर को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) किया जा सकेगा. निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2018 6:54 AM
गया : स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये जा रहे व्यक्तिगत शौचालय का काम निगम क्षेत्र में धीमी गति से चल रहा है. इसकी रफ्तार को देख कर ऐसा नहीं लगता कि अगले एक वर्ष में भी शहर को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) किया जा सकेगा. निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्ष से शहर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयविहीन घरों में टॉयलेट बनाने का लाभ देने की योजना चलायी जा रही है.
शहर में कराये गये सर्वे के अनुसार, 13665 घर वर्ष 2015 में शौचालयविहीन थे. इनमें अब तक 6934 घरों में शौचालय बनाने के लिए पहली किस्त की राशि लोगों को दी गयी है. विगत तीन वर्षों में यह आंकड़ा निगम ने पार किया है, तो शेष बचे 6731 घरों को लाभ देने में भी तीन वर्ष और समय लगने के आसार दिख रहे हैं. नगर निगम बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति की बैठकों में हर बार शहर को ओडीएफ करने की बात उठायी जाती है. अधिकारी रटे-रटाये एक ही बात कहते हैं कि काम किया जा रहा है, जल्द ही सभी को योजना का लाभ दे दिया जायेगा.
यहां हुई पहले गड़बड़ी : शुरू में यह काम निगम ने अनुबंध पर रखे कर्मचारी के जिम्मे सौंप दिया था़ इसमें हुआ कि एक व्यक्ति के खाते में दो-तीन बार योजना के पैसे भेज दिये गये. इसके साथ ही नगर निगम कर्मचारी ने भी पहले से घर में बने शौचालय को दिखा कर योजना का लाभ लिया. मामला खुलते ही आनन-फानन में नगर निगम के अधिकारी ने सभी को नोटिस देने का आदेश दिया.
दूसरी यह भी कई बार सामने आ चुकी है कि शौचालय योजना के लाभुक द्वारा कराये गये काम की जांच करनेवाले कर्मचारी रिपोर्ट करने के लिए पैसा का उगाही करते हैं. हालांकि इस बात पर कई बार अधिकारियों ने जांच करने की बात भी कही है. सूत्रों का कहना है कि अब तक इस योजना की स्थिति रही है कि कर्मचारियों के अड़ियल रवैये के कारण इसकी गति धीमी हो गयी.
बायो व ई-टाॅयलेट की हालत कई जगहों पर बदतर : शहर में करीब 20 जगह पर 80 लाख रुपये खर्च कर बायो टॉयलेट बनाये गये हैं. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी ये टॉयलेट कुछ ही जगहों पर चालू हैं. निगम सूत्रों का कहना है कि टॉयलेट लगाते वक्त वहां पानी इंतजाम के बारे में किसी ने सोचा ही नहीं. कई जगहों पर अब तक टॉयलेट में पानी तक नहीं पहुंच सका है.
इसके साथ ही चांद चौरा, शहमीरतक्या व काशी नाथ मोड़ पर ई-टॉयलेट लगाये गये हैं. एक वर्ष से तीनों जगहों पर टॉयलेट का ढांचा खड़ा कर दिया गया है, लेकिन अब तक चालू नहीं हो सका है. इसके साथ ही शहर में 20 जगहों पर कम्युनिटी टॉयलेट बनाने का प्रस्ताव बोर्ड में स्वीकृत है. अब तक कहीं भी काम नहीं लगाया जा सका है.

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