जिले में क्लब फुट से पीड़ित 12 बच्चों की पहचान हुई
क्लब फुट से पीड़ित बच्चों को चिह्नित कर उनके इलाज की सुविधा दी जाती है. ऐसे बच्चों को डीइआइसी में जांच कर मगध मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है. ऑपरेशन, प्लास्टर और फिर स्वस्थ हो जाने के बाद बच्चों का फॉलोअप किया जाता है.
गया. क्लब फुट से पीड़ित बच्चों को चिह्नित कर उनके इलाज की सुविधा दी जाती है. ऐसे बच्चों को डीइआइसी में जांच कर मगध मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है. ऑपरेशन, प्लास्टर और फिर स्वस्थ हो जाने के बाद बच्चों का फॉलोअप किया जाता है. जन्म से चलने में लाचार बच्चों को चलने में आसानी प्रदान करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह ने क्लब फुट अवेयरनेस को लेकर मंगलवार को प्रभावती अस्पताल परिसर में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में शिविर के दौरान कही. जिले के विभिन्न प्रखंडों से आये क्लब फुट से पीड़ित बच्चों की जांच व इलाज संबंधी परामर्श दिये गये. आरबीएसके नोडल उज्ज्वल कुमार ने बताया कि शिविर के दौरान 16 क्लब फुट बच्चों की जांच की गयी. इनमें 12 क्लब फुट के नये बच्चे थे तथा चार बच्चे जिनका इलाज हो चुका था, फॉलोअप के लिए आये थे. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच 171 क्लब फुट बच्चों का इलाज किया गया है. इसमें 70 बच्चे क्लब फुट रोग से मुक्त होकर दैनिक जीवन जीने में सफलता प्राप्त हुई है. 71 बच्चों को मगध मेडिकल कॉलेज गया में फॉलोअप से किया जा रहा है. क्लब फुट पैरों में होनेवाली एक जन्मजात असामान्यता है. इसमें बच्चे का एक या दोनों पैर अंदर या बाहर की तरफ मुड़े होते हैं. क्लब फुट की समस्या से पीड़ित बच्चों को चिन्हित करते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनका इलाज किया जा रहा है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ऐसे बच्चों का मुफ्त इलाज होता है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जून 2024 को नेशनल क्लब फुट अवेयरनेस मंथ घोषित किया गया है. हेल्दी स्टेप्स-हेल्दी लाइफ ए क्लबफुट अवेयरनेस एंड मैनेजमेंट थीम के साथ यह उद्देश्य है कि क्लब फुट के बच्चों के पहचान के प्रति लोगों में जागरूकता लायी जाये. इसके साथ ही उनका उचित इलाज सुनिश्चित करवाना और छूटे हुए बच्चों का फॉलोअप करना है.
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