गया : बेटों ने नहीं किया पिंडदान, तो जयपुर से आकर पत्नियों ने किया पति का श्राद्ध-तर्पण

कंचन @ गया पुनर्जन्म की अवधारणा में विश्वास करनेवाले अधिकतर लोगों की इच्छा जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने की होती है. इसी उपलब्धि को मोक्ष पाना कहा जाता है. धर्म शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है किजब तक मोक्ष नहीं प्राप्त होता, एक स्वर्गीय प्राणी को अलग-अलग जीवों के रूप में धरती पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 29, 2018 10:46 AM

कंचन @ गया

पुनर्जन्म की अवधारणा में विश्वास करनेवाले अधिकतर लोगों की इच्छा जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने की होती है. इसी उपलब्धि को मोक्ष पाना कहा जाता है. धर्म शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है किजब तक मोक्ष नहीं प्राप्त होता, एक स्वर्गीय प्राणी को अलग-अलग जीवों के रूप में धरती पर जन्म लेना पड़ता है. इससे बचने के लिए गया में पिंडदान का काफी महत्व बताया गया है. जन्म-मरण के इसीचक्र से अपने स्वर्गीय पतियों को मुक्ति दि लाने के लिए राजस्थान के जयपुर से पांच विधवाएं यहां श्राद्ध-पिंडदान के लिए पहुंची हैं. इन दिनों वे पांचों यहां 17 दिवसीय श्राद्ध कर्म में व्यस्त हैं.

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पतियों के लिए 17 दिनी श्राद्ध-तर्पण करने आयीं पांचों महिलाओं ने बताया कि बेटों की उपेक्षा से पीड़ित होकर वे स्वयं अपने दम पर यहां पहुंची हैं. इनके मुताबिक, पहले तो लंबे समय तक वे इस बात काइंतजार करती रहीं कि बेटे स्वयं अपने पिता व अन्य पूर्वजों के लिए पिंडदान करेंगे. लेकिन, उनकी वर्षों की उदासीनता से क्षुब्ध इन विधवाओं ने खुद ही गया आने का फैसला किया. बेबी कुंवर और पुष्पा कुंवरनामक विधवा पिंडदानियों ने बताया कि उनके बेटे तो हैं ही, पर उनके होने और नहीं होने का कोई मतलब नहीं. उनका सवाल है कि जब उनके बेटों को अपने पिता के मोक्ष की न कामना है, न चिंता, तोउनसे उम्मीद किस बात की?

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राजस्थान की राजधानी जयपुर के नंदरिया, बिहारीपुरा और मेहरा से आयी इन विधवा महिलाओं के पतियों का वर्षों पहले देहांत हो चुका है. बेबी कुंवर के मुताबिक, पिंडदान व तर्पण-श्राद्ध जैसे कर्म कांड मेंबेटे की आस्था भले ही नहीं हो, पर उन्हें है. वह अपने पति व अन्य पूर्वजों के लिए मोक्ष चाहती हैं. अवसर देख गया आने और पिंडदान की प्रक्रिया पूरी करने की योजना वह पहले ही बना चुकी थीं. उन्हें जैसे हीगया आने के लिए आसपास के लोगों का साथ मिला, वे भी पांचों यहां पधार गयीं. फिलहाल इनका पूरा ध्यान अपने पतियों और पूर्वजों की मोक्षप्राप्ति पर केंद्रित है.

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