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जिसे जहां मिली जगह वहीं बैठ किया पिंडदान
गया : पितृपक्ष के मौके पर गया पहुंचनेवाले पिंडदानियों से विष्णुपद व आसपास के घाटों पर गुरुवार को भक्तिमय माहौल दिखा. जिस ओर भी नजर जा रही थी उस ओर पिंडदानी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते दिख रहे थे. 17 दिवसीय पितृपक्ष के 12 वें दिन का पिंडदान गयासुर वेदी […]
गया : पितृपक्ष के मौके पर गया पहुंचनेवाले पिंडदानियों से विष्णुपद व आसपास के घाटों पर गुरुवार को भक्तिमय माहौल दिखा. जिस ओर भी नजर जा रही थी उस ओर पिंडदानी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते दिख रहे थे. 17 दिवसीय पितृपक्ष के 12 वें दिन का पिंडदान गयासुर वेदी पर किये जाने का महत्व प्रचारित है.
इसलिए विष्णुपद के आसपास के इलाकों में गया सुर वेदी के अंदर, बाहर व आसपास के इलाके में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पिंडदान करते देश-विदेश से आये पिंडदानी देखे गये. जिसे जहां भी जगह मिला उस स्थान को ही भगवान विष्णु का स्थान मान कर पिंडदान के लिए अपनी बैठकी लगा दी थी. यहां आये तीर्थयात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, प्रशासन व पुलिस के अधिकारी इसका पूरा ख्याल रख रहे थे.
लाचार व वृद्धों को विष्णुपद से अन्य जगहों पर जाने के लिए नगर निगम से ई-रिक्शा की व्यवस्था, निगम कर्मचारियों की ओर से गयासुर वेदी के बगल में ही पेयजल शिविर के साथ-साथ अन्य सामाजिक संगठनों की ओर से जगह-जगह विभिन्न सुविधाओं के शिविर लगाये गये हैं. इसके साथ ही जगह-जगह दुकानें लगी होने के कारण पूरा इलाका रमणीक दिखने लगा है. ऐसे विष्णुपद व आसपास के घाटों पर पिंडदान के लिए सालों भर देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन, पिंडदान के लिए पितृपक्ष को खास तौर पर बहुत लाभकारी माना जाता है. इसलिए इस वक्त इनकी संख्या बहुत बढ़ जाती है.
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