बोधगया : केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि पिछले चार साल में भ्रष्टाचार के मामले में विश्व के देशों में 142वें स्थान से खिसक कर भारत 77वें स्थान पर आ चुका है. सरकार की कोशिश है कि 2019 तक विश्व के 50 देशों की सूची में भारत को शामिल किया जाये. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले भारत की रैंकिंग 132वीं थी. यूपीए के 10 वर्षों के कार्यकाल में यह बढ़ कर 142वें स्थान पर पहुंच गया था. लेकिन, 2014 के बाद सरकार की सख्ती और कमोबेश हर क्षेत्र में ऑनलाइन पेमेंट के कारण तीन दिन पहले रिपोर्ट आयी है कि भ्रष्टाचार के मामले में विश्व के देशों में भारत का स्थान 77वां हो गया है.
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि 2014 में देश का जीडीपी ग्रोथ रेट 2.6 प्रतिशत था. 2017 में यह बढ़ कर 3.3 हो गया और वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट है कि फिलहाल भारत का जीडीपी ग्रोथ ब्रिटेन को पछाड़ते हुए 7.5 प्रतिशत हो चुका है. उन्होंने कहा कि 2018 के अंत तक भारत जीडीपी के ग्रोथ दर में विश्व का पांचवां देश होगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश का राजकोषीय घाटा 2015-16 में पांच प्रतिशत था, जो आज घट कर मात्र तीन प्रतिशत रह गया है. साथ ही, देश में दाल का उत्पादन 16 मिलियन टन से बढ़ कर 25 मिलियन टन हो गया है. शुक्रवार को बोधगया के महाबोधि होटल में पीएनबी द्वारा आयोजित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहयोग व संपर्क कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मंत्री राधामोहन सिंह ने उक्त जानकारी दी.
मंत्री ने कहा कि चार वर्ष पहले कमजोर, अपारदर्शी व पूंजीवादी अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विरासत में मिली थी. नोटबंदी, जीएसटी व दिवालियापन कानून लाकर आर्थिक व्यवस्था में अनुशासन लाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने उद्यमियों को उत्साहित करते हुए कहा कि पहले बैंकों को इस बात की छूट होती थी कि फोन करने मात्र से ही माल्या व अन्य को लोन दे दिया जाता था. लेकिन, अब सहयोग व संपर्क के तहत नये-नये उद्यमियों को ऋण दिये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि देश में लघु, सूक्ष्म व मध्यम दर्जे के करीब छह करोड़ 30 लाख यूनिट हैं और इनमें 11 करोड़ से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. स्टार्ट अप व स्टैंड अप के लिए सात करोड़ से ज्यादा प्रधानमंत्री मुद्रा लोन दिये गये हैं.
गया को हैंडलूम के क्षेत्र में किया जायेगा प्रोमोट
भारत सरकार के डीओएसी एंड एफडब्ल्यू के अतिरिक्त सचिव सह वित्त सलाहकार बी प्रधान ने बताया कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहयोग एवं संपर्क(एमएसएमइ) भारत के 80 जिलों में आयोजित किया जा रहा है. यह 100 दिनों का कार्यक्रम है. गया को आकांक्षी जिला चयनित किया गया है व इसके तहत मधुबनी को पेंटिंग, पटना को आइटी व गया को हैंडलूम के लिए चयनित किया गया है. उन्होंने कहा कि एक जिला एक प्रोडक्ट की रणनीति के तहत काम शुरू किया गया है. इस कार्यक्रम के माध्यम से खासकर बुनकरों को विशेष लाभ मिलने की उम्मीद है व इसमें बैंकों की भूमिका भी अहम है. इस बीच केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व सभी संबंधित कागजात सही होने की स्थिति में एक करोड़ रुपये तक का ऋण 60 मिनट में अप्रूव करना है. उन्होंने कहा कि टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या तीन करोड से बढ़ कर छह करोड़ हो गया है. टैक्स के रुपये व कड़े फैसले के कारण देश का खजाने में पैसे बढ़े हैं और उसका उपयोग देश के विकास व उज्जवला, जय आदि योजनाओं के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के अंत तक हर घर में बिजली व इसके कारण हर खेत को पानी उपलब्ध कराया जायेगा. साथ ही 2022 तक नया भारत का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है. कार्यक्रम को गया के सांसद हरि मांझी, गुरुआ विधायक राजीव नंदन दांगी, पीएनबी के महाप्रबंधक(बिहार-झारखंड) दिनेश कुमार पालीवाल व अन्य ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार, डीएम अभिषेक सिंह आदि भी शामिल हुए. कार्यक्रम में जिला भर से आये लघु , सूक्ष्म व मध्यम उद्यमी के साथ-साथ जीविका से जुड़ी महिलाओं की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी शामिल हुईं.