पंडालों में खुले मां काली के पट माता लक्ष्मी के कलश स्थापित
गया : शहर में तीन दिवसीय लक्ष्मी पूजा की शुरुआत साेमवार काे धनतेरस (यम के दीया) के साथ हाे गयी. शहर में कई जगहाें पर माता काली की प्रतिमा पूजा पंडालाें में स्थापित कर पूजा की जाती है. शाम तक सभी पूजा पंडालाें में वैदिक मंत्राेच्चारण के साथ मां काली के पट खोल दिये गये. […]
गया : शहर में तीन दिवसीय लक्ष्मी पूजा की शुरुआत साेमवार काे धनतेरस (यम के दीया) के साथ हाे गयी. शहर में कई जगहाें पर माता काली की प्रतिमा पूजा पंडालाें में स्थापित कर पूजा की जाती है. शाम तक सभी पूजा पंडालाें में वैदिक मंत्राेच्चारण के साथ मां काली के पट खोल दिये गये.
पट खुलते ही श्रद्धालुआें की भीड़ पूजा पंडालाें में माता के दर्शन के लिए उमड़ने लगी. दूसरी तरफ जिन-जिन पंडालाें में माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की जानी है, उन पंडालाें में वैदिक मंत्राेच्चारण और विधि विधान पूर्वक कलश स्थापित की गयी. इन पंडालाें में मां लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना मंगलवार काे व पट बुधवार काे श्रद्धालुआें के दर्शन के लिए खाेले जायेंगे. टिल्हा धर्मशाला के पीछे वाली सड़क में धर्मशाला के ठीक पीछे तरुण कला परिषद की आेर से यहां पर वर्षाें से मां काली की विशाल प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है.
दूसरी प्रतिमा उससे आगे राम सागर तालाब से थाेड़ा पीछे माेड़ पर भी मां काली की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है. इधर, बिसार तालाब के पास न्यू एरिया माेड़ पर जय मां भद्रकाली मनाेकामना मंडल पूजा समिति की आेर से मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है. इसके अलावा शहर में कई जगहाें पर मां काली की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं.
इन स्थानाें पर स्थापित पूजा पंडालाें में साेमवार काे माता के पट खाेल दिये गये. यहां पूजा समाप्ति के दिन भंडारे की भी व्यवस्था हाेती है. जय मां भद्रकाली मनाेकामना मंडल के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा उर्फ सुनील बंबइया ने बताया कि आठ नवंबर की रात यहां बनारस से आ रहे कलाकाराें द्वारा महाजागरण कराया जायेगा. नाै नवंबर काे प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा.