हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं शुरू हुई पेंशन, परिवार चलाने के लिए जॉब कार्ड पर काम कर रहे हैं रिटायर्ड कर्मचारी

गया : दशकों नौकरी करने के बाद रिटायरमेंट के समय लोग सोचते हैं कि अब पेंशन व सेवानिवृत्ति लाभ में मिलनेवाले पैसों से आराम से जिंदगी कटेगी. रिटायरमेंट के बाद भी परिवार चलाने के लिए अगर जॉब कार्ड पर काम करना पड़े, तो यह अफसोस की ही बात है. ऐसा ही एक मामला नगर निगम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2018 4:14 AM
गया : दशकों नौकरी करने के बाद रिटायरमेंट के समय लोग सोचते हैं कि अब पेंशन व सेवानिवृत्ति लाभ में मिलनेवाले पैसों से आराम से जिंदगी कटेगी. रिटायरमेंट के बाद भी परिवार चलाने के लिए अगर जॉब कार्ड पर काम करना पड़े, तो यह अफसोस की ही बात है. ऐसा ही एक मामला नगर निगम का है. निगम के अमीन उपेंद्र देव बर्मन तीन दशकों तक नौकरी करने के बाद 2011 में रिटायर्ड हुए.
लेकिन, अब तक उन्हें सेवानिवृत्ति का लाभ मिलना तो दूर, सात वर्षों के बाद पेंशन तक चालू नहीं किया गया है. बर्मन फिलहाल नगर निगम में जॉब कार्ड पर नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. बर्मन ने बताया कि निगम में नौकरी करते वक्त 2006 में एडवांस बकाया रहने का सर्टिफिकेट केस किया गया.
बार-बार उन्होंने द्वारा पत्र देकर कहा कि एडवांस का डिटेल दें. लेकिन कई वर्ष गुजरने के बाद भी डिटेल नहीं मिला. इसके बाद इसकी चर्चा तक ऑफिस में होनी बंद हो गयी. 2011 में रिटायर्ड होने के बाद एडवांस की बात एक बार फिर सामने आयी, जबकि उनके द्वारा 2006 से पहले ही एडवांस के एवज में विकास योजनाओं का काम कराया गया था.
इसकी रिपोर्ट भी उन्होंने इंजीनियरिंग शाखा में जमा कर दी थी. रिटायरमेंट के लाभ के लिए अधिकारी से मिले, तो 2013 में नगर आयुक्त निलेश देवरे के समय में इंजीनियरिंग शाखा के प्रभारी प्रधान सहायक विजय कुमार सिन्हा ने लिख कर दिया कि इनको दिये गये एडवांस के एवज में काम करा दिया गया है.
इसके बाद भी यहां से पेंशन निर्धारण नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद हर जगह से थक हार कर 2016 में हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी. हाइकोर्ट ने सितंबर 2017 में फैसला दिया कि निगम के अधिकारी हिसाब कर उनका सारा भुगतान कर पेंशन देना चालू करें. इसके बाद भी निगम के अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ा. इसके कारण अब आदेश के अवमानना को लेकर कोर्ट की शरण में गये हैं.
पहले सब कुछ था भगवान भरोसे
पहले विकास के काम को लेकर एस्टिमेट तैयार करने की जरूरत नहीं होती थी. काम होने के बाद भुगतान के वक्त सभी तरह के कागज तैयार किये जाते थे. निगम के एक रिटायर्ड कर्मचारी ने बताया कि पहले फाइल तैयार कर काम नहीं होता था बल्कि अधिकारी एक कागज के टुकड़े पर आदेश देते थे और काम शुरू हो जाता था.
कई पुराने ठेकेदार द्वारा लाखों रुपये का काम कराने के बाद भी इसी प्रक्रिया के कारण अब तक उन्हें भुगतान नहीं हुआ है. इसमें ठेकेदार राजेंद्र प्रसाद ने शहर में कई जगहों पर बोरिंग करायी व पाइपलाइन बिछाया. इनका अकेले 40 लाख से अधिक रुपया बकाया है. निगम के कर्मचारी कहते हैं कि पुरानी कई फाइलें भी निगम के पास उपलब्ध नहीं है.

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