गुस्सा, अफसोस व खुशी
गया: कहते हैं राजनीति आंकड़ों व उम्मीदों का खेल है और जब ये दोनों ही धोखा दे दें, तो हालात बदलने में देर नहीं लगती. एक की झोली में गुस्सा व अफसोस रह जाता है , तो दूसरे के पास खुशी. कुछ ऐसा ही नजारा था शुक्रवार को नगर निगम का. डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ […]
गया: कहते हैं राजनीति आंकड़ों व उम्मीदों का खेल है और जब ये दोनों ही धोखा दे दें, तो हालात बदलने में देर नहीं लगती. एक की झोली में गुस्सा व अफसोस रह जाता है , तो दूसरे के पास खुशी. कुछ ऐसा ही नजारा था शुक्रवार को नगर निगम का.
डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होते ही निगम में कई रंग नजर आने लगे. मोहन श्रीवास्तव के समर्थक गुस्से व अफसोस में थे, तो विपक्ष के लिए यह जश्न का मौका था. निगम के सभाकक्ष में मौजूद लोगों के माथे पर गुलाल और फर्श पर पड़े मिठाइयों के डिब्बे उनकी को खुशी बयां कर रहे थे. वहीं, हार के बाद एक खेमा नाराज था. अफसोस उम्मीदों के टूटने का और गुस्सा आंकड़ों के बिगड़ने का. खैर, अब कुछ किया भी नहीं जा सकता. सिर्फ आगे की रणनीति तय करना ही एकमात्र विकल्प बच गया है.
खुशी कामयाबी की
मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होते ही विरोधी पक्ष के पार्षदों ने सभाकक्ष में एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाना शुरू कर दिया. विपक्षी पार्षद इसे बड़ी कामयाबी मान रहे हैं. जाहिर है नगर निगम की राजनीति में पारंगत माने जाने वाले मोहन श्रीवास्तव को डिप्टी मेयर के पद से हटाना मुश्किल काम रहा होगा. दबी जुबां से ही सही ये पार्षद मान रहे थे कि मोहन श्रीवास्तव के जेल में होने का फायदा उन्हें मिला है.
अपनों ने ही दिया दगा!
शह और मात का यह खेल समाप्त हो जाने के बाद शाम में निगम कार्यालय के बाहर खड़े एक पार्षद गद्दारों (वैसे पार्षद जिन्होंने मोहन श्रीवास्तव के पक्ष में मतदान नहीं किया ) की सूची तैयार करके रखा था. उक्त पार्षद इन तथाकथित गद्दारों को देख लेने की बात कर रहे थे.
उनका कहना था कि इन लोगों ने साथ देने की बात कह कर धोखा दिया है. वहीं, कुछ अन्य पार्षद उन्हें शांत कराने में लगे थे. यह नाराजगी उम्मीदों के टूटने की थी. साथ ही, कुछ पार्षद आंकड़ों के बिगड़ने का अफसोस जताने में लगे थे. उनके चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी.