सावधान! नकली खतियान बना कर करोड़ों रुपये की जमीन हथिया ले रहे ठग
वरीय संवाददाता @ गया अगर आपके पास कीमती जमीन है और उसे बेचने की सोच रहे हैं, तो इसे जरूर पढ़ लें, क्योंकि आपकी कीमती जमीन पर ठग गिरोह की शातिर नजर है. यह गिरोह नकली खतियान बना कर कई लोगों को ठग चुका है. नये साल में ठगी का शिकार हुए हैं चंदौती थाने […]
वरीय संवाददाता @ गया
अगर आपके पास कीमती जमीन है और उसे बेचने की सोच रहे हैं, तो इसे जरूर पढ़ लें, क्योंकि आपकी कीमती जमीन पर ठग गिरोह की शातिर नजर है. यह गिरोह नकली खतियान बना कर कई लोगों को ठग चुका है. नये साल में ठगी का शिकार हुए हैं चंदौती थाने के चुरी गांव निवासी अशोक मिश्रा. मामूली रुपये पाकर करीब तीन करोड़ रुपये की दो एकड़ 63 डिसमिल जमीन गंवानेवाले मिश्रा ने इस संबंध में सिविल लाइंस थाने में मगध विश्वविद्यालय थाने के घंटाडीह खनवासी रोशन राज, गांधी मैदान रोड में रहनेवाले रमेश कुमार, अमित कुमार, वसीका नवीस धनंजय पांडेय, डीडराइटर विपिन कुमार, राहुल कुमार और खनतयानंद शर्मा सहित कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है.
पुलिस ठगी के आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है. सिविल लाइंस थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार की मानें, तो सभी फ्रॉड शीघ्र ही पुलिस गिरफ्त में होंगे. अपनी प्राथमिकी में पीड़ित ने बताया है कि रोशन राज और रमेश कुमार उनके घर पर आये और चुरी की जमीन के सौदे के बारे में बात की. इस पर उन्होंने बताया कि वर्णवाल प्रोपर्टी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजू वर्णवाल के साथ इस जमीन का सौदा हो चुका है. इस पर आरोपितों ने कहा कि उनकी एक अन्य जमीन बोधगया थाने के गोहटी गांव में भी है. उनके पिता और दादा के नाम से उसका खतियान है, जिसका रकबा आठ एकड़ 63 डिसिमल है.
इस संबंध में पीड़ित ने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि बोधगया में उनकी कोई जमीन नहीं है. इन सबके बावजूद आरोपितों ने नकली खतियान बनवा कर उसे मिश्रा के व्हाट्सएप पर भेजा और उनहें लालच देकर झांसे में ले लिया. 29 लाख में गोहटी की जमीन का सौदा हुआ. आरोपितों ने 23 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से उनके (पीड़ित) अकाउंट में डाल दिये. 24 दिसंबर, 2018 को मिश्रा के चारों भाइयों को लखनऊ से गया बुलाया गया (यह परिवार फिलहाल लखनऊ रहता है). सभी भाइयों ने विश्वास कर रजिस्ट्री से संबंधित कागजात पर हस्ताक्षर कर दिये. इसमें आधा पन्ना खाली था. पूछने पर बताया गया कि प्लॉट और चौहद्दी का विवरण चढ़ाना है. थोड़ी देर में टाइप हो जायेगा. 30 दिसंबर को उनके पास फोन आया कि कुछ लोग उनकी चुरी वाली जमीन पर मापी करा रहे हैं. पता करने पर जानकारी हुई कि उक्त आरोपित उनकी जमीन पर गये थे.
पीड़ित ने जब नकल निकाली, तो पता चला कि गोहटी की जमीन की जगह चुरी की कीमती जमीन रजिस्ट्री करा ली गयी है. करीब तीन करोड़ की दो एकड़ 63 डिसमिल की धोखाधड़ी कर ली गयी. इसके बाद पता चला कि उक्त आरोपित जमीन की हेराफेरी का धंधा करते हैं. जमीन ठगने के कुछ दिन बाद गिरोह में शामिल लोगों के नाम पर उक्त जमीन की फिर रजिसट्री करा दी जाती है. इस तरह यह गिरोह 25 बीघे से ऊपर जमीन की धोखाधड़ी कर कई लोगों को चूना लगा चुका है. इस संबंध में वर्णवाल प्रोपटी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजू वर्णवाल ने बताया कि यह एक ऐसा गिरोह है, जो जमीन हड़प कर अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर उसका बंटवारा कर लेता है. इससे सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने पुलिस प्रशासन से मामले की जांच करा कर ठगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की.
ऐसे झांसे में लेता है गिरोह
सूत्रों के मुताबिक, शहर से लेकर गांव तक गिरोह का गिरोह का जाल फैला हुआ है. जमीन की हर एक खरीद-फरोख्त पर इसकी नजर रहती है. जहां भी जमीन की बिक्री या खरीद की जानकारी मिलती है, तो गिरोह का सरगना अपने ‘स्मार्ट’ सहयोगियों के साथ संबंधित व्यक्ति से संपर्क करता है. इस दौरन जमीन बेचनेवाले व्यक्ति की पूरी जानकारी ले लेते हैं. बातचीत के क्रम में संबंधित व्यक्ति की दूसरी जगह पर पुश्तैनी जमीन होने की चर्चा करते हैं. संबंधित व्यक्ति के इनकार करने पर नकली खतियान दिखा कर लालच देते हैं और उसे चंगुल में फंसा लेते हैं. इसके बाद रजिस्ट्री के समय खेल होता है. किवाला तैयार कराते समय एक या आधा पेज उसमें खाली रखा जाता है, जिस पर जमीन बेचनेवले का हस्ताक्षर होता है. रजिस्ट्रार के पास स्वीकारोक्ति के बाद गिरोह के सदस्य हस्ताक्षरयुक्त सादे कागज पर कीमती जमीन का मौजा व खसरा नंबर आदि टाइप करा कर कागजात जमा करा देते हैं. इस प्रकार, जो मूल जमीन होती है, उसकी ही रजिस्ट्री हो जाती है. इसका पता तब चलता है, जब जमीन पर कब्जे का समय आता है.