लोकसभा चुनाव : गया के युवा चाहते हैं रोजगार, भ्रष्टाचार का खात्मा और ‘‘शापित फल्गू नदी”” का उद्धार

गया : बिहार के गया संसदीय क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां ने जोर पकड़ लिया है और यहां का युवा मतदाता रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के साथ-साथ ‘‘शापित फल्गू नदी’ का उद्धार करने जैसे मुद्दों की ओर अधिक झुका हुआ है. इस क्षेत्र के देहाती और शहरी इलाकों का युवा तबका खासकर वे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2019 6:34 PM

गया : बिहार के गया संसदीय क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां ने जोर पकड़ लिया है और यहां का युवा मतदाता रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के साथ-साथ ‘‘शापित फल्गू नदी’ का उद्धार करने जैसे मुद्दों की ओर अधिक झुका हुआ है. इस क्षेत्र के देहाती और शहरी इलाकों का युवा तबका खासकर वे लोग जो पहली बार लोकतंत्र के इस महान पर्व में पहली बार दस्तक देंगे, उनका आरोप है कि इस शहर का विकास, प्रशासन की ढिलाई और भ्रष्टाचार से बेसहारा बना हुआ है. वे अब ऐसी आवाज को चुनकर संसद में भेजना चाहते हैं जो इन मसलों का हल निकाल सके.

राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूर गया, राज्य के उन चुनाव क्षेत्रों में शामिल है जहां पहले चरण में 11 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे. अनुसूचित जाति तबके के लिए आरक्षित इस सीट को लेकर युवा लोगों की उत्सुकता और परेशानी का सबब समझा जा सकता है. लेकिन, उनमें से कई यह बात स्पष्टता से कह रहे हैं कि उन्हें अपने प्रत्याशी और अगली सरकार से क्या चाहिए.

टेकड़ी की रिहाइश वाले बीस बरस के कुशल किशोर ने कहा कि वह रोजी रोटी कमाने के लिए पटना और गया के बीच पैसेंजर ट्रेन से सप्ताह में दो बार सफर करता है और वह अत्यंत गरीब परिवार से है. वह पहली बार वोट डालेगा. लेकिन, उसे कई ऐसा ऐहसास होता है कि वह किसी को वोट नहीं दे. उसका आरोप है कि पुलिस प्रशासन में भ्रष्टाचार है.

मगध विश्वविद्यालय के उन्नीस बरस के छात्र शिवशंकर कुमार ने कहा कि कई सारे गंभीर मसले हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात है फल्गू नदी का उद्धार. उन्होंने कहा कि मिथकीय रूप से फल्गू नदी ‘शापित’ है. यह केवल मानसून के दिनों में जीवन पाती हैं और गर्मियों में सूख जाती है. गया एक धार्मिक शहर है. जो भी अगली सरकार आये उसे फल्गू नदी की सफाई पर वैसा जोर देना चाहिये जैसा कि गंगा की सफाई पर दिया गया है. उसने पीटीआई-भाषा से कहा कि फल्गू को उसके शाप से मुक्ति दी जानी चाहिये. इसे चुनावी मुद्दा होना चाहिये.

गया में 17 लाख से अधिक मतदाता हैं और इनमें से 49 हजार 18 से 19 आयु वर्ग के हैं. इन नये मतदाताओं में 51 फीसदी लड़कियां हैं. गया के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का जदयू उम्मीदवार विजय कुमार मांझी से है.

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