13.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

साल 1980 में हत्या के समय नाबालिग था अपराधी, न्यायालय ने दिया ये आदेश

नयी दिल्ली : साल 1980 में अपने चचेरे भाई की हत्या करने के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले एक व्यक्ति को उच्चतम न्यायालय ने राहत दे दी है. शीर्ष अदालत ने जेल से उसकी रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि वह अपराध के समय नाबालिग था. शीर्ष अदालत ने बिहार के गया […]

नयी दिल्ली : साल 1980 में अपने चचेरे भाई की हत्या करने के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले एक व्यक्ति को उच्चतम न्यायालय ने राहत दे दी है. शीर्ष अदालत ने जेल से उसकी रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि वह अपराध के समय नाबालिग था. शीर्ष अदालत ने बिहार के गया के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की 27 मार्च 2019 की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया जिमसें कहा गया कि आरोपी अपराध के वक्त 17 साल और छह महीने की उम्र का था.

न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति एम शांतानगौदार और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि आरोपी की अपराध के समय उम्र 18 साल से कम थी, ‘‘हमारा सुविचारित नजरिया है कि अपीलकर्ता नाबालिग होने के लाभ का हकदार है.” पीठ ने कहा, ‘‘हम अपील का निपटारा करते हुए निर्देश देते हैं कि अगर अपीलकर्ता किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे रिहा किया जाये.”

अभियोजन के अनुसार, आरोपी 23 अगस्त 1980 को रात करीब दस बजे एक होटल में आया था और उन्होंने एक रात के लिए एक कमरा बुक करने को कहा था. उसके साथ उसका चचेरा भाई भी था. देर रात करीब तीन बजे एक वेटर ने चीख सुनी और होटल मालिक को जानकारी दी. वेटर और होटल मालिक ने आरोपी को अपना बैग लेकर होटल से जाते हुए देखा था. आरोपी को पकड़कर उसे होटल के उसी कमरे में बंद कर दिया गया जहां उसका चचेरा भाई खून से लथपथ था. निचली अदालत ने 17 फरवरी 1988 को उसे भादंसं की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा दी थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें