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गया, राजगीर और नवादा में सालों भर मिले गंगा का पानी : मुख्यमंत्री

पटना : मुख्यमंत्री ने गंगा नदी का पानी गया, राजगीर और नवादा में सालों भर उपलब्ध कराने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है. उन्होंने गुरुवार को ‘गंगा वाटर लिफ्ट स्कीम फॉर ड्रिंकिंग’ की समीक्षा बैठक की. इस दौरान जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने स्कीम का प्रेजेंटेशन दिया. इसमें गया, राजगीर […]

पटना : मुख्यमंत्री ने गंगा नदी का पानी गया, राजगीर और नवादा में सालों भर उपलब्ध कराने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है. उन्होंने गुरुवार को ‘गंगा वाटर लिफ्ट स्कीम फॉर ड्रिंकिंग’ की समीक्षा बैठक की.
इस दौरान जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने स्कीम का प्रेजेंटेशन दिया. इसमें गया, राजगीर और नवादा में गंगा के पानी की आपूर्ति, जल संग्रहण का विकल्प, पाइपलाइन रूट मैप सहित अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गयी. उन्हें अधिकारियों ने बताया कि गया स्थित फल्गु नदी में पानी स्टोर करने के संबंध में जियोलॉजिकल सर्वे जारी है.
प्रेजेंटेशन के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बरसात के दिनों में ही गंगा नदी के पानी का संग्रहण कर लेना होगा. आवश्यकता के अनुसार गया, राजगीर और नवादा में 12 महीने तक पेयजल आपूर्ति करनी होगी. इसके लिए उन्होंने हर हाल में गया और राजगीर में जगह की तलाश कर जल संग्रहण की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर में नालंदा यूनिवर्सिटी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का सेंटर, पुलिस अकादमी, स्पोर्ट्स अकादमी जैसे संस्थान हैं. इसलिए भविष्य में पेयजल की होने वाली अतिरिक्त जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी.
बैठक में जल संसाधन मंत्री संजय झा, मुख्य सचिव दीपक कुमार, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, पीएचइडी के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, ओएसडी गोपाल सिंह, अपर सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय चंद्रशेखर सिंह उपस्थित थे.
11 मानकों पर शुरू होगा जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम
पटना : ग्रामीण विकास विभाग पौधारोपण, जल संचयन संरचनाओं के विकास सहित 11 मानकों पर जल जीवन हरियाली कार्यक्रम की शुुरुआत करेगा.
इसमें सार्वजनिक तालाब, आहर, पोखर और कुओं को अतिक्रमण मुक्त कर उनका जीर्णोद्धार किया जायेगा. सार्वजनिक कुआं, हैंडपंप व नलकूपों के किनारे सोख्ता व अन्य जल संचयन का निर्माण, छोटी नदी व पहाड़ों से निकलने वाले जल संचयन में चैकडैम का निर्माण, जल क्षेत्र की कमी वाले क्षेत्रों में जल की आपूर्ति, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना, पौधशाला सृजन व सघन पौधारोपण करना, वैकल्पिक फसलों व ड्रॉप सिंचाई व अन्य नयी तकनीक का उपयोग करना, सौर ऊर्जा का उपयोग के अलावा जागरूकता का अभियान चलाया जाना है. कार्यक्रम के नोडल विभाग ग्रामीण विकास विभाग के सचिव की ओर से जानकारी दी गयी कि 13 जुलाई को विधानमंडल के निर्णय के बाद कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गयी है. नौ अगस्त को सीएम नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की थी. अब दो अक्तूबर को सीएम जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत करेंगे. जागरूकता के लिए ग्राम, प्रखंड व जिला स्तर पर दीवार लेखन, होर्डिंग, रथ, रैली, हस्ताक्षर अभियान, संगोष्ठी, कचरा सफाई व अन्य कार्यक्रम चलाये जायेंगे.
खासमहाल के आवंटियों के अनुबंध की होगी जांच
पटना : राज्य के विभिन्न शहरों में खासमहाल की सैकड़ों एकड़ भूमि पर रहने वाले आवंटियों के अनुबंध की जांच होगी. इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है. राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने विशेष सचिव स्तर की अध्यक्षता में कमेटी बनायी है.
कमेटी एक सप्ताह के अंदर पटना जिला व विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेगी, जिसमें खासमहाल जमीन को लेकर नयी नियमावली पर मंथन होगा. खासमहाल को लेकर हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर एक गाइडलाइन तैयार की जायेगी. जानकारी के अनुसार शिकायत व क्रमवार सभी आवंटियों के अनुबंध की जांच की जायेगी. किसका अनुबंध कब समाप्त हुआ है, किसने अतिक्रमण किया है या किसके मूल आवंटी की मृत्यु हुई है और अब तक आवंटन का स्थानांतरण नहीं हुआ है.
गौरतलब है कि पटना, पूर्णिया, मुंगेर, गोपालगंज, आरा, मुजफ्फरपुर, सारण व नालंदा जिलों में खासमहाल की जमीन का बड़ा रकबा है. खासमहाल की जमीन के आवंटियों व विभाग के बीच कई वर्षों से मामला कोर्ट में चल रहा था. जानकारी के अनुसार अब कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 2011 से पहले के मामले को पुराने नियम से देखा जाये, जबकि 2011 के बाद के आवंटन को नये नियम के आधार पर अनुबंधित किया जाये. जिनका 30 वर्षों के लिए अनुबंध किया गया था, उनका अनुबंध समाप्त हो गया है.
उनके मूल आवंटियों की मृत्यु के बाद उनका आवंटन आवंटी के वारिस को स्थानांतरित करना है. इस सभी मामलों में नये नियमों के अनुसार आदेश जारी किया जायेगा. इसमें 15 लाख से अधिक शुल्क नये नियम के अनुसार होगा. जानकारी के अनुसार प्रारंभिक जांच में पटना जिले से छह ऐसे मामले आये हैं, जिन पर विभाग को निर्णय लेना है.
जमीन की उपयोगिता बदलने के मामले भी अधिक
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लीज की अवधि पूरा होने के अलावा अधिकतर मामले ऐसे भी हैं, जिनके आवंटियों ने जमीन की उपयोगिता को बदल दिया है. आवासीय जमीन को अब व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. बतौर, अधिकारी चूंकि सभी आवंटियों का अनुबंध अलग-अलग हुआ है, इसलिए सभी आवंटियों के अनुबंध की जांच के बाद ही मामला स्पष्ट होगा. गौरतलब है कि पटना में करीब 600 एकड़, पूर्णिया में 700 व मुंगेर में इससे भी अधिक खासमहाल की जमीन है, जबकि अन्य जगहों पर भी जमीनों का बड़ा रकबा है.

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