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गया में विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू, पितरों को याद करने का आया मौका, जानें श्राद्धकर्म की तिथियां

गया : पितृपक्ष मेला महासंगम का उद्घाटन गुरुवार की शाम यहां विष्णुपद मंदिर के बाहर बने सभागार में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने किया. इस मौके पर स्वस्तिवाचन व शंखनाद किया गया. यह मेला अनंत चतुर्दशी से शुरू हाेकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक चलेगा. 17 दिवसीय श्राद्ध कार्य के लिए तीर्थयात्री गया पहुंचने लगे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2019 8:27 AM
गया : पितृपक्ष मेला महासंगम का उद्घाटन गुरुवार की शाम यहां विष्णुपद मंदिर के बाहर बने सभागार में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने किया. इस मौके पर स्वस्तिवाचन व शंखनाद किया गया. यह मेला अनंत चतुर्दशी से शुरू हाेकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक चलेगा. 17 दिवसीय श्राद्ध कार्य के लिए तीर्थयात्री गया पहुंचने लगे हैं. तीर्थयात्रियाें की सुविधा के लिए शुक्रवार से वाेल्वाे बस सेवा शुरू होगी, जाे गया-बाेधगया, गया-दिल्ली, गया-रांची, गया-राजगीर आदि जगहाें के लिए खुलेंगी.
पितरों को याद करने का आया मौका, जानें श्राद्धकर्म की तिथियां
पटना/गया : पंद्रह दिनों का पितृपक्ष शनिवार से प्रारंभ हो जायेगा. आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पंद्रह दिन पितृपक्ष के नाम से विख्यात है. इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पूर्वजों को जल देते हैं और श्राद्ध करते हैं.
इन 15 दिनों में पितरों का श्राद्ध किया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है. पितृपक्ष मेले में पिछले वर्ष करीब सात लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, इस वर्ष यह संख्या आठ लाख तक पहुंचने की उम्मीद है. इस बार 14 सितंबर से 28 सितंबर तक पितृपक्ष रहेगा. 14 सितंबर को पूर्णिमा प्रातः 09:03 तक है. इसके बाद प्रतिपदा श्राद्ध ,महालयारम्भ, पितृपक्षारम्भ शुरू जायेगा.
पुनपुन में भी है पिंडदान की परंपरा
मसौढ़ी : पौराणिक युगों से पुनपुन घाट पर लगने वाला अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला गुरुवार से शुरू हो गया. प्रत्येक वर्ष भाद्रपक्ष की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक लगने वाले 15 दिन के इस मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
सनातन धर्मावलंबियों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण माना गया है. पुनपुन में युगों से पिंडदान श्राद्ध और तर्पण का कार्य होते चला आ रहा है. इस वजह से हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह भूमि पूजनीय मानी गयी है. प्रत्येक वर्ष लाखों तीर्थयात्री पिंडदान करने व अपने पितरों व पूर्वजों को भवबंधन से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां पहुंचते हैं. इसी वजह से पुनपुन पिंडदानियों के लिए महत्वपूर्ण प्रथम द्वार माना जाता है. पुनपुन के संबंध में कहा गया है कि आदिगंगा पुनपुन पिंडदानियों के लिए बड़ा ही पवित्र स्थल माना गया है.
आदिगंगा (गंगा की बहन) सूरसरि गंगा से भी ज्यादा महत्व पुनपुन को माना गया है. पंडा सुदामा पांडेय ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, आदौ तु गोमती, गंगा द्वितीय चः पुनः पुनाः, तृतीय कथिता रेखाः, चतुर्थी जाहनवी मतः इसकी चर्चा रामायण, महाभारत और वेदपुराण में की गयी है.अध्यात्म के अनुसार पुनपुन नदी में पहला पिंडदान भगवान रामचंद्र ने किया तब से यह परंपरा चली आ रही है.
पिंडदान के विषय में कहा गया है कि पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान करना ही पिंडदान कहलाता है. आत्मा भटके नहीं और पुनः मनुष्य योनी में दूसरा जन्म हो, इसी मान्यता को लेकर लोग आत्मा रूपी पिंड से पिंडदान करते हैं. पिंडदान के लिए लोग चावल का चूर्ण व मीठा के साथ शहद व पानी का इस्तेमाल कर उसका पिंड बना नदी घाट के पास पूरे विधि विधान से पिंडदान करते हैं.
07 लाख श्रद्धालु पितृपक्ष मेले में गया पहुंचे थे पिछले साल
08 लाख श्रद्धालुओं के इस वर्ष पहुंचने का है अनुमान
पर्यटन निगम की वेबसाइट पर अॉनलाइन बुक करें पितृपक्ष पैकेज टूर
मेला में आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने पिंडदान पैकेज टूर की ऑनलाइन बुकिंग शुरू की है. ऑनलाइन के माध्यम से कोई भी पर्यटन निगम की वेबसाइट पर जाकर पिंडदान से जुड़े विभिन्न पैकेज टूर की बुकिंग कर सकता है.
पिछले वर्ष देश-विदेश के 70 लोगों ने पैकेज टूर के माध्यम से अपने पितरों का पिंडदान किया था. इस पैकेज में आने-जाने के लिए एसी कार, खाने-पीने, होटल में ठहरने, पूजन सामग्री के साथ-साथ पंडा के दक्षिणा तक की सुविधाएं हैं. पिंडदान के लिए पांच पैकेज है. इ- पिंडदान का पैकेज 19950 रुपये रखा गया है.
पैकेज टूर एक नजर में :
1. पटना-पुनपुन-गया-पटना (एक दिवसीय) – एक व्यक्ति 13350, दो व्यक्ति 13780 तथा चार व्यक्ति 23250 रुपये
2. पटना-पुनपुन-गया-बोधगया-नालंदा-राजगीर-पटना (एक रात दो दिन) – एक व्यक्ति 15310, दो व्यक्ति 16420 तथा चार व्यक्ति 29,250 रुपये
3. गया से गया (एक दिवसीय) – एक व्यक्ति 9270, दो व्यक्ति 9930 तथा चार व्यक्ति 19850 रुपये
4. गया से गया (एक रात दो दिन) – एक व्यक्ति 15590, दो व्यक्ति 16685 तथा चार व्यक्ति 31605 रुपये
5. गया-बोधगया-राजगीर-नालंदा-गया (एक रात दो दिन) – एक व्यक्ति 13230, दो व्यक्ति 14340 तथा चार व्यक्ति 24990.
पांडवों ने भी किया था यहां श्राद्ध
‘याज्ञिक’, आचार्य लाल भूषण मिश्र इसके महत्व को कुछ यूं बताते है कि 17 दिवसीय गया श्राद्ध में घर से गया यात्रा करने वाले के लिए मार्ग में स्थित पुन:पुना तीर्थ का श्राद्ध करके गयाजी में प्रवेश करने का विधान है.
पुन:पुना श्राद्ध नहीं करने वाले के लिए गया स्थित गाेदावरी तीर्थ में पिंडदान, तर्पण करने का विधान है. कर्म पुराण के अनुसार पुन:पुना नदी के तट पर पंतीथ नामक स्थल पर पांडवाें ने गयाजी पहुंचने के पहले श्राद्ध किया था. भगवान श्रीराम ने भी पुन:पुना श्राद्ध करके गया में प्रवेश किया था. पंतीथ नामक स्थान अरवल जिले के वंशी प्रखंड में अति प्राचीन शिवमंदिर के पास है. पंतीथ काे पंच तीर्थ कहा जाता था. इस स्थान से आगे चलकर पुन:पुना नदी फतुहा के पास गंगा में मिल जाती है. पुन:पुना काे आदि गंगा भी कहते हैं. इसका उद्गम आैरंगाबाद के टंडवा थाना में स्थित गजना देवी मंदिर के पूर्व दिशा में कुंड नामक स्थान से जल स्रोत के रूप में है.
विभिन्न नदियाें (रामरेखा, बटाने, अदरी, मदार, धावा आदि) के संगम हाेने से इसका महत्त्व बढ़ जाता है. गंगा में संगम पानेवाली नदी पुन:पुना काे वायु पुराण में परम पावन व पितृ माेक्षदायक बताया गया है. पुन:पुना श्राद्ध के लिए प्रमुख घाट हैं-जीटी राेड सिरीस पुल(रारूण प्रखंड), अनुग्रह नारायण राेड स्टेशन के पास, देवहरा पुल(गाेह प्रखंड), किंजर(करपी प्रखंड, जहानाबाद), पंतीथ (वंशी प्रखंड, अरवल) व पुनपुन स्टेशन. इस वर्ष 17 दिवसीय गया श्राद्ध का पहला श्राद्ध गयाजी में फल्गु तट पर 13 सितंबर शुक्रवार काे पंडाजी से अनुमति प्राप्त करके करें. ऐसा परंपरागत विधान है. यह श्राद्ध भादाे पूर्णिमा तिथि काे हाेता है. फल्गु के जल के रूप में स्वयं आदि गदाधर विष्णु हैं. संसार के सभी तीर्थ फल्गु में प्रतिदिन स्नान करने के लिए आते हैं.
श्राद्धकर्म की तिथियां
इस बार पितृपक्ष मेले की खास बात यह है कि जहां एक तिथि आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया दाे दिन है, ताे कई तिथियां एक ही दिन गुजरेंगी, इसकी वजह से पिंडदान व तर्पण करने आये लाेगाें काे तिथि के हिसाब से कर्मकांड करना हाेगा. 17 दिवसीय श्राद्ध 12 सितंबर से शुरू हो गया है. श्राद्ध विधान में श्राद्ध की तिथि मध्याह्न काल में व अपराह्न काल में तिथि रहने पर ही श्राद्ध किया जाता है.
12 सितंबर गुरुवार- अनंत चतुर्दशी श्राद्ध- पुन:पुना(पुनपुन) तीर्थ में या गोदावरी गया में
13 सितंबर शुक्रवार- भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध- फल्गु तट पर
14 सितंबर शनिवार- आश्विन कृष्ण प्रतिपदा श्राद्ध- ब्रह्मकुंड, प्रेतशिला, रामकुंड रामशिला व काकबलि
15 सितंबर रविवार- आश्विन कृष्ण द्वितीया श्राद्ध साढ़े दस बजे से- उत्तरमानस उदिचि कनखल व दक्षिण मानस वेदी
16 सितंबर सोमवार- आश्विन कृष्ण द्वितीया श्राद्ध दिन 12 बजे तक- जिह्वालोल व गदाधर विष्णु दर्शन
17 सितंबर- मंगलवार- आश्विन कृष्ण तृतीया श्राद्ध- सरस्वती तीर्थ मतंगवापी धर्मारण्य व बोधगया
18 सितंबर बुधवार- आश्विन कृष्ण चतुर्थी श्राद्ध- ब्रह्म सरोवर काकबलि, तारक ब्रह्म दर्शन व आम्र सिंचन वेदी
19 सितंबर गुरुवार- आश्विन कृष्ण पंचमी श्राद्ध- विष्णुपद वेदी, रुद्रपदवेदी, व ब्रह्मपद वेदी
20 सितंबर शुक्रवार- आश्विन कृष्ण षष्ठी श्राद्ध- सोलह वेदी में कार्तिक पद, दक्षिणाग्नि पद, गार्हपत्याग्निपद आहवनीयाग्नि पद व सूर्य पद वेदी
21 सितंबर शनिवार- आश्विन कृष्ण सप्तमी श्राद्ध- चंद्रपद गणेशपद सम्याग्नि पद आवसथ्याग्नि पद दधीचि पद व कण्वपद वेदी
22 सितंबर रविवार- आश्विन कृष्ण अष्टमी श्राद्ध दिन 2/23 बजे तक- मतंगपद क्रौंच पद इंद्रपद, अगस्तय पद, कश्यप पद व गजकर्ण पद वेदी
23 सितंबर सोमवार- आश्विन कृष्ण नवमी व दशमी श्राद्ध- क- राम गया व सीता कुंड वेदी,ख- गयाशिर व गया कूप वेदी
24 सितंबर मंगलवार- आश्विन कृष्ण दशमी/ एकादशी तिथि 11/24 बजे से एकादशी श्राद्ध- मुंड पृष्ठा आदि गदाधर व धौतपद वेदी
25- सितंबर बुधवार- आश्विन कृष्ण एकादशी/द्वादशी तिथि द्वादशी श्राद्ध- भीम गया, जर्नादन विष्णु व मंगला गौरी दर्शन, गो प्रचार वेदी व गदालोल वेदी
26 सितंबर गुरुवार- अाश्विन कृष्ण त्रयोदशी श्राद्ध- फल्गु तट पर दूध तर्पण व सायं काल में दीप दान
27 सितंबर शुक्रवार- आश्विन कृष्ण चतुर्दशी श्राद्ध- वैतरणी तर्पण व गोदान
28 सितंबर शनिवार- आश्विन कृष्ण अमावस्या श्राद्ध- अक्षयवट श्राद्ध व सुफल
29 सितंबर रविवार-आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध- गायत्री घाट श्राद्ध व आचार्य दक्षिणा

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