पितृपक्ष मेला : गयाजी में चाकचौबंद व्यवस्था के भी मुरीद हुए तीर्थयात्री
73% तीर्थयात्रियों में धार्मिक महत्ता आकर्षण गया : गया कॉलेज के एनएसएस के छात्र-छात्राओं ने पितृपक्ष मेला में जहां एक तरफ तीर्थयात्रियों की बढ़-चढ़ कर सहायता की, वहीं दूसरी ओर लगभग 2000 तीर्थ यात्रियों से मेला के विभिन्न पहलुओं व व्यवस्थाओं के संबंध में फीडबैक भी लिया. एनएसएस के सदस्य वृद्ध तीर्थ यात्रियों को सहारा […]
73% तीर्थयात्रियों में धार्मिक महत्ता आकर्षण
गया : गया कॉलेज के एनएसएस के छात्र-छात्राओं ने पितृपक्ष मेला में जहां एक तरफ तीर्थयात्रियों की बढ़-चढ़ कर सहायता की, वहीं दूसरी ओर लगभग 2000 तीर्थ यात्रियों से मेला के विभिन्न पहलुओं व व्यवस्थाओं के संबंध में फीडबैक भी लिया. एनएसएस के सदस्य वृद्ध तीर्थ यात्रियों को सहारा देकर उन्हें फल्गु नदी में लाने और ले जाने व सीढ़ी चढ़ने व उतरने में निरंतर मदद कर रहे हैं. उनकी सेवाओं की चारो ओर प्रशंसा हो रही है.
तीर्थयात्रियों में पुरुष 87.7 और महिलाएं 12.3 प्रतिशत : एनएसएस के सदस्यों द्वारा लिये गये फीडबैक के अनुसार गयाजी आनेवाले तीर्थयात्रियों में से नौ प्रतिशत तीर्थयात्री पोस्ट ग्रेजुएट, 18.6 प्रतिशत ग्रेजुएट, 20 प्रतिशत इंटरमीडिएट, 20.2 प्रतिशत मैट्रिक पास, 20.5 प्रतिशत नन मैट्रिक एवं 11.7 प्रतिशत अशिक्षित हैं. इनमें पुरुषों का अनुपात 87.7 प्रतिशत और महिलाओं का12.3 प्रतिशत है.
फीडबैक के अनुसार 73 प्रतिशत लोगों ने गया जी की धार्मिक महत्ता के कारण पिंडदान के लिए चुना है, जबकि 15.8 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनके परिजन द्वारा पूर्व में गयाजी में ही पिंडदान किया गया है. इसलिए उन्होंने गया जी को चुना, सात प्रतिशत लोगों ने बताया कि गयाजी नजदीक होने के कारण उन्होंने गया जी को चुना है, जबकि शेष लोगों ने गयाजी में जानकार पंडा का होना बताया. 82.3 प्रतिशत यात्रियों ने बताया कि वह गयाजी से पहले और कहीं पिंडदान नहीं किये हैं जबकि 17.7 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वह गया जी से पहले दूसरे स्थान पर भी पिंडदान किये हैं.
परिजनों ने बताया गयाजी में करें पिंडदान : यह पूछने पर कि गयाजी में पिंडदान करने की प्रेरणा या जानकारी कहां से मिली. तो 59.4 प्रतिशत लोगों ने बताया कि परिजनों से, 15.6 प्रतिशत लोगों ने बताया मित्रों से, 2.5 प्रतिशत लोगों ने बताया कि रेडियो व मीडिया के द्वारा, 33.5 प्रतिशत लोगों ने बताया अपने पुरोहित के द्वारा, वहीं 2.8 प्रतिशत लोगों ने पिंडदान वेबसाइट व मोबाइल एप के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने की बात कही.
गयाजी में आकर सारी भ्रांतियां दूर हो गयीं
यह पूछने पर कि गया जी आने के पूर्व आपको किस बात की अधिक चिंता थी तो जवाब में 51.8 प्रतिशत लोगों ने कानून व्यवस्था की, 14 प्रतिशत लोगों ने आवासन एवं भाषा की समस्या, 10 प्रतिशत लोगों ने भीड़-भाड़ व वाहन की समस्या, 9.8 प्रतिशत लोगों ने पंडा के चयन की समस्या की बात बतायी. उन्होंने यह भी कहा कि गयाजी में आकर सारी भ्रांतियां दूर हो गयी अब वे अपने सगे संबंधियों को गयाजी जाने को कहेंगे.
64 प्रतिशत यात्री गया पहुंच कर करते हैं सारी व्यवस्था
तीर्थ यात्रियों से यह पूछे जाने पर कि यहां आने से पहले ही क्या आपने ठहरने, खाने, धार्मिक अनुष्ठान के लिए पूरा प्रबंध कर लिया था तो 36 प्रतिशत लोगों ने हां में जबकि 64 प्रतिशत लोगों ने न में जवाब दिया. आवासन की व्यवस्था के संबंध में 46.1 प्रतिशत लोगों ने बताया कि पंडा के द्वारा व्यवस्था की गयी, 35.3 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, 14.4 प्रतिशत लोगों ने अपने मित्र व निकट संबंधी के द्वारा व्यवस्था करने की जानकारी दी, शेष में कुछ ने ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से व कुछ ने आश्रम में ठहरना बताया.
91.9 % लोगों ने बोधगया घूमने की जतायी इच्छा
आगमन के साधन के संबंध में 69.7 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने रेलगाड़ी के द्वारा, 20.7 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने बस के द्वारा, 8.7 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने अपने निजी वाहन से, 0.9 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने वायु मार्ग के द्वारा गाया जी पहुंचने की जानकारी दी. यह पूछने पर कि क्या गया जी आने के बाद अपने आसपास के अन्य पर्यटन स्थलों-तीर्थ स्थानों का भ्रमण करेंगे तो जवाब में 52 प्रतिशत लोगों ने नहीं जबकि 48 प्रतिशत लोगों ने हां में जवाब दिया और इनमें से 91.9 प्रतिशत लोगों ने बोधगया, 36.6 प्रतिशत लोगों ने राजगीर, 9.4 प्रतिशत लोगों ने तपोवन/ गेहलौर, 0.5 प्रतिशत लोगों ने सभी स्थलों का भ्रमण करने, 0.2 प्रतिशत लोगों ने बाबाधाम एवं 0.1 प्रतिशत लोगों ने मंगलागौरी भ्रमण करने की बात कही.
सबसे अधिक देवघाट पर करते हैं पिंडदान
पिंडदान के लिए 16% तीर्थयात्री गयाजी में एक दिन, 54.5% तीर्थयात्री तीन दिन, 21.5 प्रतिशत तीर्थयात्री सात दिन, आठ प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने 17 दिन ठरहने की बात बतायी. पिंडदान के दौरान 19.8 प्रतिशत तीर्थयात्री पांच हजार रुपये, 34.4 तीर्थयात्री पांच हजार से 10 हजार रुपये, 28.4 तीर्थयात्री 10 से 20 हजार रुपये, 13.7 प्रतिशत तीर्थयात्री 20 से 50 हजार रुपये, 3.5 प्रतिशत तीर्थयात्री 50 हजार से एक लाख रुपये एवं 0.2 प्रतिशत तीर्थयात्री एक लाख रुपये से अधिक व्यय करेंगे. फीडबैक के अनुसार 59.9 प्रतिशत तीर्थयात्री देवघाट पर, 32.5 प्रतिशत तीर्थयात्री अक्षयवट में, 21.6 प्रतिशत तीर्थयात्री प्रेतशिला में एवं 30.6 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने इन सभी स्थलों पर पिंडदान करने की जानकारी दी. प्रशासन द्वारा चलायी गयी सेवाओं का उपयोग के संबंध में पूछने पर सहायता केंद्र का उपयोग 79 प्रतिशत लोगों ने, वेबसाइट का उपयोग 15.7 प्रतिशत,मोबाइल एप का उपयोग 27 प्रतिशत, नियंत्रण कक्ष का उपयोग 48 प्रतिशत, पोस्टर बैनर का उपयोग 80 प्रतिशत, वाहन किराया चार्ट का उपयोग 48 प्रतिशत, प्रीपेड ऑटो रिक्शा का प्रयोग 25 प्रतिशत, रूट मैप का 30 प्रतिशत, स्वास्थ्य शिविर का 60 प्रतिशत, आवासन केंद्र का 60 प्रतिशत, वाटर एटीएम का 63 प्रतिशत, ई-रिक्शा का 65 प्रतिशत,पुलिस शिविर का 62 प्रतिशत, पब्लिक टॉयलेट का 50 प्रतिशत और मे आई हेल्प यू डेक्स का 48 प्रतिशत तीर्थयात्रियों ने उपयोग किया. मेला अवधि के दौरान खाद्य व अन्य सामग्रियों की उपलब्धता के संबंध में पूछने पर अधिकतर लोगों ने अच्छा व बहुत अच्छा में जवाब दिया. सफाई कर्मी, प्रशासनिक कर्मी, पुलिसकर्मी, नागरिक, दुकानदार,पंडा समाज व यातायात कर्मी-चालक के व्यवहार के संबंध में पूछने पर अधिकतर लोगों ने स्नेह पूर्ण व्यवहार मिलन का जवाब दिया. सरकारी सेवाओं की स्थिति के संबंध में पूछने पर अधिकतर तीर्थयात्रियों ने बहुत अच्छी व्यवस्था होने की जानकारी दी.