मिसाल: पितरों के मोक्ष के लिए गया पहुंची दो महिलाएं, कहा- अपने माता-पिता का कर्मकांड कर रही हूं, मेरी बेटियां मेरा करेंगी
वक्त बदल रहा है, तो धारणाएं भी बदलनी होंगी गया : समाज लंबे समय से पितृसत्ता की व्यवस्था में चल रहा है. ये व्यवस्था शायद उस वक्त की जरूरत रही होगी. आज है या नहीं, इस पर कुछ कहना नहीं है. लेकिन, अब वक्त बदल रहा है, तो धारणाएं भी बदलनी होंगी. इसी सोचा के […]
वक्त बदल रहा है, तो धारणाएं भी बदलनी होंगी
गया : समाज लंबे समय से पितृसत्ता की व्यवस्था में चल रहा है. ये व्यवस्था शायद उस वक्त की जरूरत रही होगी. आज है या नहीं, इस पर कुछ कहना नहीं है. लेकिन, अब वक्त बदल रहा है, तो धारणाएं भी बदलनी होंगी. इसी सोचा के साथ दो सगी बहने तनुजा सिन्हा व सीमा शर्मा अपने माता-पिता का पिंडदान करने गया पहुंची हैं. दोनों ने बताया कि उनके पिता कैलाश प्रसाद शर्मा भागलपुर विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के अध्यक्ष थे, उनकी मां माधुरी शर्मा गृहिणी थीं. वे अपने माता-पिता की तीन संतानें हैं. तीनों बेटियां हैं. तनुजा सिन्हा दिल्ली में अपने पति के साथ रहती हैं और सीमा शर्मा पटना में एएन काॅलेज में बतौर प्रोफेसर भौतिकी विभाग में कार्यरत हैं. एक बहन नहीं आ सकी. दोनों ने शुक्रवार को देवघाट पर पंडा शंभु लाल भईआ व पंडित रवि शंकर पाठक के नेतृत्व में पिंडदान किया.
हर जिम्मेदारी निभा रही हैं बेटियां : बातचीत के क्रम में तनुजा सिन्हा ने बताया कि अब धारणाएं बदल रही हैं. बेटियां हर वह काम कर रही हैं जो बेटे कर सकते हैं और नारी तो ऐसे भी पुरुषों से श्रेष्ठ हैं, क्यों कि वह मां बन सकती हैं. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता हमेशा उन लोगों के साथ ही रहे. न तो उन्हें कभी बेटेे की कमी खली और न इन बहनों ने अपने माता-पिता को इसका एहसास होने दिया. श्रीमती सिन्हा ने कहा कि उनकी भी दो बेटियां हैं. वे चाहती हैं जब उनकी मौत हो, तो बेटियां ही सभी कर्मकांड करें. उन्होंने कहा कि अब कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी संतान बेटा है या बेटी. बेटियां हर जिम्मेदारी निभा रही हैं. हमने निभाया हैं हमारी बेटियां भी निभायेंगी.