15 वर्ष पुराने कॉमर्शियल वाहन शहरों में बंद करने की दी सलाह
गया/पटना : पटना, मुजफ्फरपुर, गया और प्रदेश के अन्य शहरों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि 15 साल पुराने सभी डीजल चलित व्यावसायिक वाहनों को इन शहरों से प्रतिबंधित किया जाये. घरेलू उपयोग के लिए अनुदानित दर पर केराेसिन की आपूर्ति पर […]
गया/पटना : पटना, मुजफ्फरपुर, गया और प्रदेश के अन्य शहरों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि 15 साल पुराने सभी डीजल चलित व्यावसायिक वाहनों को इन शहरों से प्रतिबंधित किया जाये. घरेलू उपयोग के लिए अनुदानित दर पर केराेसिन की आपूर्ति पर पाबंदी लगाने का भी सुझाव दिया है.
गया का एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति खराब रहती है. वायु प्रदूषण की स्थिति के मद्देनजर 15 साल पुराने वाहन, जिससे वायु प्रदूषण काे खतरा रहता है, काे बंद करने की सलाह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड ने दी है. यूं बुधवार काे गया में पीएम 2.5 आेवरअॉल 99 रहा है. अगर बुधवार की बात करें, ताे वायु प्रदूषण की स्थिति सामान्य रही है.
शाम छह बजे के बाद वायु प्रदूषण इंडेक्स थाेड़ा बढ़ा, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ हाेने का खतरा बढ़ गया था. एयर क्वालिटी एंडेक्स की बात करें ताे गंदगी व वाहनाें से निकलने वाले धुएं से इसका खतरा बढ़ जाता है. फिलहाल गया में पितृपक्ष की वजह से नियमित सफाई हाे रही है, इससे गंदगी नहीं फैली है. शायद इसी वजह से हाल के दिनाें में इसकी स्थिति संतुलित रह रही है. आम ताैर पर इसकी स्थिति भयावह हाेती है.
इसके अलावा ईंधन के रूप में सीएनजी की आपूर्ति सुनिश्चित करने, शहरों में वाहनों की संख्या नियंत्रित करने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को सुदृढ़ करने की भी सलाह दी गयी है. पर्षद की यह एडवाइजरी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की माध्यम से राज्य सरकार को भेजी गयी है. यह सलाह सर्दियों के मौसम को देखते हुए आयी है. बिहार के सभी शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा देश के अन्य शहरों की तुलना में सर्वाधिक होती है.
दिल्ली व कोलकाता में लग चुका है प्रतिबंध : वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 वर्षों से अधिक पुराने वाहनों और कोलकाता में 15 वर्षों से पुराने डीजल वाहनों का परिचालन प्रतिबंधित कर दिया है. पर्षद के सदस्य सचिव आलोक कुमार ने सुझावों की एक कॉपी परिवहन विभाग को भी भेजी है. गौरतलब है कि पटना में दो लाख से अधिक डीजल चालित व्यावसायिक वाहन हैं.
पटना में 1000 दिनों में सिर्फ 16 दिन बही सांस लेने योग्य हवा
पटना में अच्छी हवा दुर्लभ होती जा रही है. सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर, 2015 के बाद जुलाई, 2019 के बीच के 1000 दिनों की मॉनीटरिंग में केवल 16 दिन ही अच्छी गुणवत्ता श्रेणी की सांस लेने योग्य हवा चली. बिहार के तीनों शहरों, पटना, गया और मुजफ्फरपुर में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति पायी गयी, जहां पीएम 2.5 की सालाना सघनता राष्ट्रीय सुरक्षा मानक से तीन से चार गुनी अधिक रही.
पटना, मुजफ्फरपुर व गया में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीरवर्ष 2016 से 2018 के बीच पटना में पीएम 2.5 की सालाना औसत सघनता क्रमश: 144 , 136 और 121 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी इसी अवधि में मुजफ्फरपुर में पीएम 2.5 की सघनता क्रमश: 119 , 134 और 107 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पायी गयी. गया में भी इन तीन वर्षों में पीएम 2.5 का सघनता स्तर क्रमशः 171, 143 और 92 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर आंका गया.
पटना में 1000 दिनों में सिर्फ 16 दिन बही सांस लेने योग्य हवा : पटना में अच्छी हवा दुर्लभ होती जा रही है. सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर, 2015 के बाद जुलाई, 2019 के बीच के 1000 दिनों की मॉनीटरिंग में केवल 16 दिन ही अच्छी गुणवत्ता श्रेणी की सांस लेने योग्य हवा चली. बिहार के तीनों शहरों, पटना, गया और मुजफ्फरपुर में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति पायी गयी, जहां पीएम 2.5 की सालाना सघनता राष्ट्रीय सुरक्षा मानक से तीन से चार गुनी अधिक रही.
िबहार सरकार को दी ये भी सलाह
घरेलू उपयोग के लिए सब्सिडी पर केराेसिन की आपूर्ति बंद हो
ईंधन के रूप में सीएनजी की आपूर्ति सुनिश्चित करें
शहरों में वाहनों की संख्या नियंत्रित करें
पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को सुदृढ़ करें
पटना, मुजफ्फरपुर व गया में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर
वर्ष 2016 से 2018 के बीच पटना में पीएम 2.5 की सालाना औसत सघनता क्रमश: 144 , 136 और 121 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी
इसी अवधि में मुजफ्फरपुर में पीएम 2.5 की सघनता क्रमश: 119 , 134 और 107 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पायी गयी.
गया में भी इन तीन वर्षों में पीएम 2.5 का सघनता स्तर क्रमशः 171, 143 और 92 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर आंका गया
अहम सवाल : डीटीओ साहब, अापकी गाड़ी का प्रदूषण सटििर्फकेट नहीं है !
गया : केंद्र सरकार के आदेश के बाद राज्य भर में नये मोटर व्हीकल एक्ट को लागू कराने का प्रयास चल रहा है. प्रशासनिक स्तर पर लगातार पब्लिक पर इन नियमों का पालन कराने का दबाव दिया जा रहा है. लेकिन, ‘बड़े साहब’ जो लगातार नियमों का पालन करने का निर्देश दे रहे हैं, उनकी खुद की गाड़ी मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन कर रही है
. शहर में बुधवार को जब कुछ बड़े अधिकारियों की गाड़ी की आरसी डिटेल्स की पड़ताल की गयी, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. परिवहन मंत्रालय के एम-परिवहन एप पर जब इन पदाधिकारियों द्वारा प्रयोग में लायी जा रही गाड़ियों का आरसी नंबर डाला गया, तो पता चला कि किसी का पाॅल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट नहीं है, तो किसी का इंश्योरेंस ही नहीं है.
डीटीओ से लेकर आइजी, एसडीओ तक की गाड़ियों का अारसी अधूरा है. अब सवाल है कि कानून का पालन कराने वाले अधिकारी ही जब हर रोज कानून तोड़ रहे हैं, तो पब्लिक से यह क्यों उम्मीद की जा रही है कि वह कानून का शत-प्रतिशत पालन करे. क्या सरकार द्वारा बनाये गये नियमों को पालन करने का दबाव केवल पब्लिक पर ही है?
गाड़ी का इंश्योरेंस है वैलिड
डीटीओ जिस गाड़ी से चलते हैं उसका नंबर है बीआर02पीए-5335. गाड़ी स्काॅर्पियो एस10 डब्लूएमएच 2 डब्लूडी है. यह गाड़ी राजेश कुमार के नाम पर निबंधित है. इसका निबंधन 30 नवंबर 2017 को हुआ था. गाड़ी का इंश्योरेंस 23 नवंबर 2019 तक वैलिड है. गाड़ी के पास पाॅल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट नहीं है.
कहते हैं डीटीओ
मेरी गाड़ी का पीयूसी फेल कर गया था. हमने उसे अपडेट करा लिया है, वेबसाइट पर भी अपलोड करा देंगे. यह भी सही है कि कई सरकारी विभाग की गाड़ियों का आरसी पूरा नहीं है. पितृपक्ष मेले के बाद सभी सरकारी गाड़ियों को अपडेट करा लिया जायेगा.
जनार्दन कुमार, डीटीओ, गया