गया : मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान के साथ भागवत कथा का भी करें श्रवण : गौतम दुबे

गया : पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति के लिये गयाजी धाम में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के कर्मकांड करने के साथ-साथ भगवत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति के साथ-साथ इन कर्मों को करने वाले को भी सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त होती है. यह उद्गार व्यक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2019 9:45 AM
गया : पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति के लिये गयाजी धाम में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के कर्मकांड करने के साथ-साथ भगवत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति के साथ-साथ इन कर्मों को करने वाले को भी सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त होती है.
यह उद्गार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के श्री धाम वृंदावन के महाराज गौतम दुबे ने भागवत कथा ऐ एक प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सूत जी कहते हैं कि तुंगभद्रा नदी पर सुंदर नगर बसा हुआ था. सभी वर्ण के लोग उसमें रहते थे.
भगवत प्रेमी ब्राह्मण आत्मदेव जी भी उसी नगर में रहते थे. पर संतान नहीं होने से वह बहुत दुखी थे. उनकी पत्नी धुंधली ठीक विपरीत स्वभाव वाली थी. परंतु संत दर्शन के लाभ से संत ने उन्हें एक फल दिया. उस फल को उन्होेंने पत्नी धुंधली को दिया. परंतु उनकी पत्नी ने अविश्वास व शंका प्रकट के कारण फल खुद न खाकर अपनी बहन व गाय को खिला दिया.
संत के आशीर्वाद से समय पर गाय व उसकी बहन ने बच्चे को जन्म दिया. आगे प्रसंग है कि पुत्र धुंधकारी व गौकर्ण बड़े हुए. गौकर्ण ने घर त्याग किया व धुंधकारी ने पापाचार किये. इंद्रियों के वशीभूत वह अकाल मृत्यु को प्राप्त हुआ. भ्राता गागौकर्ण जब वापस आये, तो घर में वीरान व सुनसान था.

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