नक्सलियों के गढ़ से निकल कर सोनू ने राष्ट्रीय स्तर पर हासिल की पहचान, जानिए इनकी कहानी
गया : 80 के दशक से नक्सलियों के लाल जोन के रूपमें चिह्नित इमामगंज, डुमरिया, बांके बाजारव गुरुआ प्रखंड के इलाके हमेशा गोली-बंदूक व बम के धमाकों से दहलता रहता था. पुलिस और नक्सली मुठभेड़ जहांआम हो गयी थी. आज भी बिहारकेगया का यह क्षेत्र संवेदनशील बना हुआ है. ऐसे क्षेत्र से निकल कर एक […]
गया : 80 के दशक से नक्सलियों के लाल जोन के रूपमें चिह्नित इमामगंज, डुमरिया, बांके बाजारव गुरुआ प्रखंड के इलाके हमेशा गोली-बंदूक व बम के धमाकों से दहलता रहता था. पुलिस और नक्सली मुठभेड़ जहांआम हो गयी थी. आज भी बिहारकेगया का यह क्षेत्र संवेदनशील बना हुआ है. ऐसे क्षेत्र से निकल कर एक छात्रने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान हासिल की है. इमामगंज प्रखंड के पकरी (गुरिया) गांव के रहने वाले एक निजी शिक्षक के पुत्र सोनू गुप्ता नेबीटेक करने के बाद आइआइटी दिल्ली में आयोजित दीक्षांत समारोह में इसरो प्रमुख के. सिवनद्वारा सोनू को सम्मानित होने का गौरव प्राप्त किया है.
सोनूने अपनी कड़ी मेहनत व ऊंची उड़ानके हौसला के बदौलत ही दिल्ली में इसरो प्रमुख के सिवन के द्वारा सम्मानित होकर प्रखंड ही नहीं, बल्कि अपने जिले का नाम रौशन किया है. अपने पुत्र की सफलता के बाद सोनू के पिता गोपाल प्रसाद ने बताया कि मैं एक प्राइवेट शिक्षक हूं और मेरी पत्नी सरीता देवी सरकारी शिक्षिका पद पर कार्यरत है. सोनू की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा बांकेबाजार के एक प्राइवेट स्कूल में हुआ. उन्होंने बताया कि स्कूल से आने के बाद मैं अपने पुत्र की गाइड लाइन किया करता था. उसी दौरान सोनू जवाहर नवोदय विद्यालय जेठियन की प्रवेश परीक्षा में सफल हो गया और वहीं से वह दसवीं पास किया.
दसवीं पास करने के बाद वह मगध सुपर 30 में भी क्वालिफाई कर गया. वहां से पढ़ाई पूरा करने के बाद आइआइटी दिल्ली में दाखिला लिया. जहां से वह बीटेक किया. उन्होंने बताया कि सोनू का सेलेक्शन ऑल इंडिया रिसर्च सेंटर में भी उसका चयन हो गया था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसमें दाखिला नहीं हो पाया. परंतु बीटेक करने के बाद आइआइटी दिल्ली में आयोजित दीक्षांत समारोह में इसरो प्रमुख के. सिवन केहाथों सोनू को सम्मानित किया गया. उन्होंने बताया कि मेरी दो पुत्री में से रूपा कुमारी सुपर 30 में एवं दुसरी पुत्री स्वाती सुमन नवोदय विद्यालय शेरघाटी में अध्ययनरत है. सोनु की सफलता के बाद इनके परिजन एवं चाहने वाले काफी खुश हैं.गौरतलब है कि इमामगंज का क्षेत्र बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित है.