बोधगया (गया) : कालचक्र मैदान में बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा ने शनिवार को मंजूश्री व आर्य तारा की आराधना व पूजा के साथ ही उनका अभिषेक भी किया. उन्होंने कहा कि अपने अंत:करण में झांकने व खुद को पहचानने का अभ्यास करें. इससे पता चलेगा कि सभी मानव एक-दूसरे पर निर्भर हैं, एक-दूसरे से जुड़े हैं. इस कारण हर किसी को एक-दूसरे के सहयोग की भावना जागृत करने की जरूरत है.
इसके लिए एक लक्ष्य तय करने होंगे और रास्ते नहीं भटकें. बौद्ध धर्मगुरु ने कहा कि भटकाव से बचने के लिए व अंत:करण को सशक्त बनाने के लिए मंजूश्री व आर्य तारा की आराधना, स्मरण किया गया. बौद्धिक विकास के लिए इनका स्मरण जरूरी है. हालांकि, बौद्ध धर्मगुरु ने लामाओं, भिक्षुणियों व उपासकों को ध्यान दिलाया कि केवल मंत्रोच्चार करने से फल व ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो पाती.