ट्रैफिक व्यवस्था में मवेशी भी ‘रोड़ा’

गया: शहर की सड़कों पर घूमनेवाले आवारा पशुओं ने पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बिगाड़ कर रख दी है. रास्ते पर खड़े इन पशुओं के बीच से निकलना काफी मुश्किलों से भरा होता है. शहर के मुख्य मार्ग हो ही देखें, तो समाहरणालय, एसबीआइ मेन ब्रांच व केदारनाथ मार्केट के पास कई मवेशी रास्ते पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:47 PM

गया: शहर की सड़कों पर घूमनेवाले आवारा पशुओं ने पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बिगाड़ कर रख दी है. रास्ते पर खड़े इन पशुओं के बीच से निकलना काफी मुश्किलों से भरा होता है. शहर के मुख्य मार्ग हो ही देखें, तो समाहरणालय, एसबीआइ मेन ब्रांच व केदारनाथ मार्केट के पास कई मवेशी रास्ते पर ही खड़े नजर आ जायेंगे.

ये जानवर वाहनों के शोर से घबराते तक नहीं और आराम से बीच सड़क पर डटे रहते हैं. कई झुंडों में मवेशियों के होने से सड़क पर जाम तक की नौबत आ जाती है. इस पर निगरानी के मामले में भी निगम की भूमिका नकारात्मक दिखती है.

साल भर में एक-दो बार मवेशियों को पकड़ने के लिए ड्राइव चलाया जाता है, लेकिन यह भी महज खानापूर्ति के लिए ही.

लोग हो रहे घायल
सुबह से ही ये जानवर मुख्य सड़क पर घूमते या फिर सड़क के बीच में बैठे नजर आते हैं. अब कहीं ये जानवर दो-चार की संख्या में एक साथ रास्ते के बीच में खड़े हो जायें, तो कुछ देर के लिए पूरी ट्रैफिक व्यवस्था चौपट हो जाती है. सड़क से हट कर केदारनाथ मार्केट में चलें, तो यहां भी इन्हीं का कब्जा है. बेधड़क घूमते इन मवेशियों के रास्ते में आने से लोग घायल भी हो जाते हैं. कई बार तो ये जानवर सब्जी खरीद कर निकल रहे लोगों के थैले तक छीन लेते हैं.

सड़कों का ही है भरोसा!
शहर का एक वर्ग ऐसा भी है, जो अपने मवेशियों को रास्ते पर भटकने के लिए तो नहीं छोड़ता. लेकिन, उन्हें सड़क के किनारे बांध कर रखता है. इस वजह से सड़कों की चौड़ाई तो कम होती ही है, आसपास का क्षेत्र गंदा भी हो जाता है. कई गलियां ऐसी हैं, जहां जानवरों को बांध देने से लोगों का पैदल गुजरना भी मुश्किल हो जाता है . ऐसा नजारा न्यू एरिया, बिसार तालाब, रामसागर तालाब, पुलिस लाइन समेत कई अन्य क्षेत्रों में देखने को मिल जाता है. यह निगम प्रशासन की लापरवाही और कुव्यवस्था ही है कि इस तरह के अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती.

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