पिंड पूर्णाहुति के साथ श्राद्ध संपन्न

गया : 17 दिवसीय गया श्राद्ध (पितृपक्ष) की पूर्णाहुति आज हो गयी. हालांकि, प्रशासनिक तौर पर बुधवार की शाम चार बजे पितृपक्ष मेले का विधिवत समापन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी करेंगे. मंगलवार को अक्षयवट के नीचे पिंडदान के साथ पितृ मुक्ति के लिए गयाधाम आये तीर्थयात्रियों के पितर तृप्त हो गये. पिंड पारा, पिंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2014 3:41 AM

गया : 17 दिवसीय गया श्राद्ध (पितृपक्ष) की पूर्णाहुति आज हो गयी. हालांकि, प्रशासनिक तौर पर बुधवार की शाम चार बजे पितृपक्ष मेले का विधिवत समापन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी करेंगे.

मंगलवार को अक्षयवट के नीचे पिंडदान के साथ पितृ मुक्ति के लिए गयाधाम आये तीर्थयात्रियों के पितर तृप्त हो गये. पिंड पारा, पिंड तारा, पितर गये स्वर्ग द्वारा. हे ईश्वर, हे विष्णु, आपकी नगरी में पितृ मुक्ति के लिए पिंडदान कर दिया. पितर तर गये. उन्हें स्वर्ग का द्वार खुला मिल गया.

अक्षयवट में पिंडदान व रुक्मिणी सरोवर में तर्पण करने के बाद तीर्थयात्रियों ने पितृ मुक्ति के लिए सेजिया दान किया. अपने सामर्थ्य के अनुसार पंडाजी को दान दिया. सेजिया दान से अभिप्राय है कि अपने पूर्वजों को रहने, खाने-पीने व सोने आदि के इंतजाम के लिए पंडाजी के माध्यम से दान देना है, ताकि परलोक में भी वह सुखीपूर्वक जीवन बीता सकें. सेजिया दान के बाद पंडाजी बिछाये गये सेज पर बैठ कर पितरों की भांति कर्ता से कुछ सवाल करते हैं.
कर्ता जवाब देता है. उस समय कर्ता पुत्रवत व पंडाजी गार्जियन के रूप में होते हैं. पंडाजी के चरण दबाना आदि क्रियाएं साथ-साथ होती हैं. इसके बाद पंडाजी यह पूछते हैं आपके पितर गया श्राद्ध करके तर गये. हां कहने पर पीठ ठोक कर पंडाजी ने सुफल देते हैं. मंगलवार की सुबह से ही अक्षयवट में इतनी भीड़ थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी.
गेट पर निकलने व प्रवेश करने की होड़ मची थी. पुलिस व मजिस्ट्रेट की तैनाती के बाद भी भीड़ संभल नहीं रही थी. पंडाजी ने कर्ता के हाथ बंधवा कर संकल्प भी कराया. हर जगह पिंडदान का नजारा. यही हाल विष्णुपद व देवघाट पर भी देखने को मिला. अमावस्या होने के कारण तर्पण करनेवाले स्थानीय लोगों की भीड़ फल्गु नदी में उमड़ पड़ी. हालांकि, दो दिन (मंगलवार व बुधवार) अमावस्या होने के कारण बुधवार को भी भीड़ रहेगी.

Next Article

Exit mobile version