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बोधगया में बैन होगा पॉलीथिन !

।। कलेंद्र प्रताप ।। बोधगया : बोधगया को पॉलीथिन मुक्त रखने के लिए नगर पंचायत जल्द ही नोटिस जारी करेगा. शहर में पॉलीथिन पर रोक लगाने का प्रस्ताव नगर पंचायत पहले ही पारित कर चुकी है. हालांकि इस पर अलम हो, इसके लिए अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा सका है. इस वजह […]

।। कलेंद्र प्रताप ।।
बोधगया : बोधगया को पॉलीथिन मुक्त रखने के लिए नगर पंचायत जल्द ही नोटिस जारी करेगा. शहर में पॉलीथिन पर रोक लगाने का प्रस्ताव नगर पंचायत पहले ही पारित कर चुकी है.

हालांकि इस पर अलम हो, इसके लिए अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा सका है. इस वजह से जिधर देखिये, पॉलीथिन बिखरा दिखता है. अपने प्रस्ताव पर अमल करने के लिए नगर पंचायत होटलों, बौद्ध मोनास्टरी व दुकानदारों को पॉलीथिन के उपयोग नहीं करने का नोटिस जारी करेगी. पहले चरण में महाबोधि मंदिर से 300 मीटर के दायरे को पॉलीथिन वजिर्त क्षेत्र बनाया जायेगा.

नगर क्षेत्र को पॉलीथिन मुक्त जोन बनाने को लेकर शुक्रवार (21 जून) को नगर पंचायत कार्यालय में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में भी उपस्थित होटल व्यवसायियों, मोनास्टरी के प्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों से अपील की गयी थी.

* पहल हुई, पर सिर्फ कागजी
महाबोधि मंदिर परिसर में पॉलीथिन बैग लेकर घुसने पर रोक लगी है. प्रवेश द्वार नोटिस बोर्ड भी लगा है. पूजन सामग्री ले जाने के लिए कपड़े के थैले की व्यवस्था मंदिर प्रबंधन कमेटी द्वारा की गयी है. महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर चीवर चढ़ाने के लिए जो भी श्रद्धालु बीटीएमसी कार्यालय से संपर्क करते हैं, उन्हें कपड़े के थैला में चीवर समेत अन्य पूजन सामग्री उपलब्ध करायी जाती है. हालांकि अब तक प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिससे पॉलीथिन के उपयोग पर बैन प्रभावी दिखे.

* पशुओं के लिए मीठा जहर
पॉलीथिन का एक सबसे नुकसानदेह तथ्य है पशु-मवेशियों को. आम तौर पर रोड पर घास या अन्य फेंके हुए खाद्य पदार्थो को खाने के क्रम में पॉलीथिन को खा जाते हैं और बाद में वे उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो जाते हैं. आये दिन मवेशियों के मरने में पॉलीथिन ही कारक बनते हैं. विशेष कर बाजार में जो इन दिनों चाइनीज पॉलीथिनों का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है वह पर्यावरण के साथ माल-मवेशियों और आम लोगों के लिए भी नुकसानदेह है.

* कोर्ट का आदेश बेअसर
सात मई, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इसमें देश के सभी राज्य सरकारों को पॉलीथिन पर रोक लगाने का आदेश दिया था. लेकिन, दुर्भाग्य से इस आदेश पर अब तक अमल नहीं किया गया है. कुछ समय के लिए तो इस आदेश पर काम हुआ, लेकिन समय बीतने के साथ ठंडा पड़ा गया. इसमें स्थानीय प्रशासन की लापरवाही कम नहीं है. पॉलीथिन समय के साथ लोगों की आवश्यकता बनती जा रही है.

* सोच रहे जागरूकता की
नगर पंचायत की अध्यक्ष प्रीति सिंह ने बताया कि बोधगया को पॉलीथिन मुक्त शहर बनाने के लिए नोटिस जारी करने के साथ ही जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. उन्होंने भी माना कि लोगों में जागरूकता की जरूरत है. उन्हें बताने की जरूर है कि पॉलीथिन से फायदा कम और नुकसान अधिक है. हालांकि यह कोई नहीं बता रहा कि अब तक नगर पंचायत की ओर से इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की गयी. किस बात का इंतजार होता रहा?

* पर्यावरणविद् की राय
पॉलीथिन पर रोक जितनी लग जाये वही इस राज्य के साथ पूरे देश के लिए सही है. एक पॉलीथिन यदि पानी में भिंगों कर भी रखा जाये, तो वह कम से कम सात वर्षो में सड़ता है. जो यह दरसाने के लिए काफी है कि पॉलीथिन किस प्रकार का पदार्थ है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाला सबसे कारक पॉलीथिन ही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बिहार सरकार इसे लेकर सचेत नहीं है आने वाले दिनों में यह समस्या काफी गंभीर हो सकती है.
डॉ आरएस राय
पर्यावरणविद, पटना

* सभी को करने होंगे प्रयास
बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव एन दोरजी ने कहा कि सबसे पहले तो बोधगया क्षेत्र में पॉलीथिन की बिक्री पर रोक लगाने की जरूरत है. दुकानदार अगर पॉलीथिन की जगह मोटे कागज या कपड़े से बने थैलों में सामान उपलब्ध करायेंगे तब ग्राहक पॉलीथिन की मांग नहीं कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर परिसर में पॉलीथिन के प्रवेश पर रोक लगा दी है. लेकिन, परिसर के बाहर फुटपाथ पर प्लास्टिक में सामान बेचे जाते हैं, मुख्य रूप से मुचलिंद सरोवर स्थित मछलियों को दाना खिलाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा उक्त थैले में बंद मुढ़ी ले जाया जाता है. उन्होंने बताया कि महाबोधि मंदिर को पॉलीथिन मुक्त बनाने में स्थानीय लोगों व व्यवसायियों को भी सहयोग करना होगा. पर, अगर लोग सहयोग नहीं करें, तो क्या किया जाये, इस बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

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