मुख्य संवाददाता, गयाछाता केसी पाल, तन ढंकता बनकर ढाल, दूसरा है-बाबा रामपाल, जो तन का खिंचे खाल…, गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन में शनिवार की शाम आयोजित काव्य संध्या में जब डा प्रकाश कुमार गुप्ता ने उक्त कविता का पाठ किया तो लोग वाह-वाह कह उठे. इन दिनों बाबा रामपाल काफी सुर्खियों में हैं. काव्य संध्या की अध्यक्षता सम्मेलन के सभापति साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय ने की. काव्य संध्या की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मुकेश कुमार सिन्हा ने जब पढ़ा-आप हैं-संन्यासी, फिर पैसे की क्या मांग? संत आप कर रहे धरम का नाश. चंद्रदेव प्रसाद केसरी ने पढ़ा-‘तू मेरा मैं तेरा हूं-प्यार प्रभुजी, तुम डूबती नइया के हो पतवार प्रभुजी…’, खालिक हुसैन परदेशी ने पढ़ा ‘शम्मा उलफत की हर किस्म पे जलाने दो मुझे, नफरत के अंधेरों को मिटाने दो मुझे…’, नि:शक्त विपिन बिहारी ने कहा-दूसरे के भरोसे न जीवन बिताओ, मेहनत करो तुम न हाथ फैलाओ…’, डा राकेश कुमार सिन्हा रवि ने मगही में पेश किया-अप्पन मगही के बात ओइसन जइसन चन्ना-चवेना, कसऽ कमर फिनो बनवे गा-मगही सिनेमा…’, गजेंद्र लाल अधीर ने पढ़ा-‘जाग रे मति मंद बंदे, स्वर्ण जीवन बह रहा है…’, मुंद्रिका सिंह ने गाया-‘कांटों में रहकर भी मुस्कुराना सीख लिया…’, डा विवेकानंद मिश्र ने नैतिकता पर कही-‘भौतिकता के चकाचौंध में बदल गयी है-शैली..’इस मौके पर अध्यक्षता कर रहे श्री सदय ने भी अपनी कविता का पाठ किया और कविता के प्रकाशन की चर्चा की. इस मौके पर अरुण हरलीवाला, उदय सिंह, बिंदू सिंह, बालेश्वर शर्मा, राजेंद्र राज, विजय कुमार सिन्हा उपस्थित थे. संचालन सुमंत ने किया.
बाबा रामपाल जो तन का खिंचे खाल…
मुख्य संवाददाता, गयाछाता केसी पाल, तन ढंकता बनकर ढाल, दूसरा है-बाबा रामपाल, जो तन का खिंचे खाल…, गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन में शनिवार की शाम आयोजित काव्य संध्या में जब डा प्रकाश कुमार गुप्ता ने उक्त कविता का पाठ किया तो लोग वाह-वाह कह उठे. इन दिनों बाबा रामपाल काफी सुर्खियों में हैं. काव्य […]
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