फाइलों का हाल देख एनआइए हैरान

गया: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में बिंदुओं पर छानबीन कर रही है. जांच के क्रम में एनआइए ने बोधगया प्रबंधकारिणी समिति (बीटीएमसी) के कार्यालय में रखे लगभग सभी फाइल को देख चुकी है. कुछ फाइल की स्थिति देख कर तो अधिकारी हैरत में भी हैं. इस दौरान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 8:42 AM

गया: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में बिंदुओं पर छानबीन कर रही है. जांच के क्रम में एनआइए ने बोधगया प्रबंधकारिणी समिति (बीटीएमसी) के कार्यालय में रखे लगभग सभी फाइल को देख चुकी है.

कुछ फाइल की स्थिति देख कर तो अधिकारी हैरत में भी हैं. इस दौरान कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जो भविष्य में महाबोधि मंदिर से जुड़े लोगों के लिये मुसीबत बन सकते है, लेकिन जांच एजेंसी अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहती इस कारण रुपये की गड़बड़ी से संबंधित फाइल को एक तरफ रखते जा रही है. अपनी जांच पूरी होने के बाद एनआइए इसका खुलासा करेगी, या फिर गृह मंत्रलय को गड़बड़ियों से संबंधित फाइल को सौंप देगी.

अब नगर पंचायत निशाने पर
एनआइए की जांच करने से महाबोधि मंदिर से जुड़े लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक महकमे में भी हड़कंप मचा है. इससे जुड़े कुछ अधिकारियों को शंका है कि कहीं उनके द्वारा की गयी गड़बड़ी भी उजागर न हो जाये. इसके पहले अधिकारी इस मामले को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिये दुकानदारों व बोधगया नगर पंचायत को निशाना बनाना शुरू कर दिये है. 7 जुलाई की सुबह बोधगया में सीरियल बम ब्लास्ट के बाद महाबोधि मंदिर परिसर के लाल पत्थर पर स्थित 58 दुकानों को बंद करने का फरमान बीटीएमसी द्वारा जारी कर दिया गया. इससे दुकानदारों में काफी रोष है.

भूखमरी के शिकार हो रहे दुकानदारों ने रविवार को गांधी चौक पर धरना दिया और 18 जुलाई से अनिश्चितकालीन बोधगया बाजार बंद रखने का निर्णय लिया है. इधर, सोमवार को जिला प्रशासन ने अचानक बोधगया में अवैध रूप से बन रहे भवनों की शिकायत को लेकर छापा मारा. अब स्थिति यह है कि दुकानदारों के साथ-साथ नगर पंचायत से जुड़े जनप्रतिनिधियों को भी जिला प्रशासन के विरुद्ध मोरचा खोलने को विवश कर दिया गया है. इधर, बोधगया में माहौल खराब होने से आइएनए के अधिकारी चिंतित हैं. एनआइए के अधिकारियों को बम ब्लास्ट के खुलासा के लिये स्थानीय दुकानदारों, होटल मालिकों, साइबर कैफे के दुकानदारों सहित बौद्ध मठों के संचालकों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग चाहिए, लेकिन खराब हो रहे माहौल का असर उनकी जांच पर पड़ रहा है.

Next Article

Exit mobile version