फिर खुली पुलिस पैट्रोलिंग की पोल

गया: सिविल लाइंस थाने के टिल्हा-महावीर स्थान के पास वीर बजरंगी मार्केट स्थित वीरेंद्र किराना दुकान में रंगदारों द्वारा उपद्रव मचाने के बाद राजेंद्र आश्रम, बेलदारी टोला व काली बाड़ी सहित आसपास के इलाकों में मंगलवार की रात तक गहमागहमी बनी रही. रंगदारों के दुस्साहस को देख लोगों के मन में एक बार फिर अपराधियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2015 9:48 AM
गया: सिविल लाइंस थाने के टिल्हा-महावीर स्थान के पास वीर बजरंगी मार्केट स्थित वीरेंद्र किराना दुकान में रंगदारों द्वारा उपद्रव मचाने के बाद राजेंद्र आश्रम, बेलदारी टोला व काली बाड़ी सहित आसपास के इलाकों में मंगलवार की रात तक गहमागहमी बनी रही. रंगदारों के दुस्साहस को देख लोगों के मन में एक बार फिर अपराधियों का भय सताने लगा है. घटनास्थल पर मौजूद लोग कई प्रकार के सवालों के साथ एक-दूसरे से चर्चा करते सुने गये.

लोग चर्चा कर रहे थे कि आखिर थाने की पैट्रोलिंग पुलिस कहां रहती है? क्या शहर में फिर से अपराधियों का बोलबाला होने वाला है? आखिर कुछ माह पहले तक सब-कुछ ठीक-ठाक था, अब पुलिस पदाधिकारियों को क्या हो गया है? क्या अब अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ समाप्त हो गया? क्या अब अपराधियों से मुकाबला करने के लिए लोगों को खुद कानून को हाथ में लेना होगा? शहरी थानों में युवा पुलिस पदाधिकारियों के बजाय उम्रदराज पुलिस पदाधिकारियों की पोस्टिंग क्यों की गयी है? शहर में खुलेआम अपराधियों ने दुकानदार पर जानलेवा हमला किया और दुकानदार व घटना से रु-ब-रू होने के लिए एक भी पुलिस के वरीय अधिकारी वहां नहीं आये.

सिर्फ थाने की पुलिस पर मामले की छानबीन करने की जिम्मेवारी छोड़ देना, कहां तक उचित है. थाने की पुलिस की शिथिलता के कारण ही तो अपराधियों का मनोबल बढ़ा है. लोग आपस में चर्चा कर रहे थे कि गया शहर में डीआइजी, एसएसपी व सिटी एसपी का आवास है. लेकिन, एक भी वरीय अधिकारी ने घटनास्थल का जायजा लेना उचित नहीं समझते हैं. आखिर ऐसा क्यों?

क्या शहर में व्यवसायियों की सुरक्षा को लेकर पुलिस तनिक भी गंभीर नहीं है? सिर्फ पैट्रोलिंग पुलिस का हवाला देकर खानापूर्ति करना चाह रही है.

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