* सिने अभिनेता अली खान की राय
* बिहारी युवक–युवतियों में प्रतिभा की कमी नहीं
।। कंचन ।।
गया : बिहार की धरती हर मामले में उर्वरा है. चाहे शिक्षा हो, कृषि हो, रंगमंच या फिर सिने जगत हो. यहां के युवक–युवती श्रम की बदौलत दूसरों का भला कर रहे हैं. प्लेटफॉर्म नहीं मिल पा रहा है. जो आगे निकल गये, वह अपने पीछे के अपने ही फिल्ड के लोगों का ध्यान नहीं रखते. हर क्षेत्र में पीछे के लोगों पर बस ध्यान दे दें, तो हम काफी आगे निकल जायें.
ये बातें ‘प्रभात खबर’ को दिये अपने इंटरव्यू में सिने अभिनेता अली खान ने कहीं. वह बताते हैं कि बिहारी मानसिकता को बदलने की जरूरत है. जिस दिन हम बदल जायेंगे, फिर किसी दूसरे विकसित राज्य से हमारा प्रदेश किसी मामले में पीछे नहीं होगा. बिहार की प्रतिभा बाहर निखरती है, परंतु यहां कुंद पड़ जाती है. उसे मांजने वाला कोई नहीं. कला के क्षेत्र में बिहार के युवक–युवतियों के अंदर जो प्रतिभा है, वह औरों के पास नहीं.
बस केवल यही कमी है कि मुंबई में बिहार के लोग बिहारी मानसिकता को भूल मुंबइया हाव–भाव के हो जाते हैं. हमारा श्रम मर रहा है. हमारी कला, प्रतिभा कुंठित हो रही है, लेकिन इसके प्रति ध्यान नहीं. इसे बदलना होगा. तभी विकास की बात सोच सकेंगे.
दक्षिण के राज्यों में ऐसी बातें नहीं.
उभरते कलाकार को तरजीह दी जाती है. तवज्जो व उन्हें मौका दिया जाता है. यही कुछ फर्क है, हमारी सोच व उनके सोच में. विकास की गाथा लिखनी हो तो मानसिकता बदलनी ही होगी. अली बताते हैं कि जब वह रंगमंच की दुनिया से उठ कर मुंबई गये, तो अपने प्रदेश के होते हुए भी किसी ने वह मुहब्बत नहीं दी, जिससे लगे कि वह यहां पर अपनी जगह बना पायेंगे. काफी संघर्ष करना पड़ा. छोटे–छोटे रोल मिलते.
निराशा होती. ‘खुदा गवाह’ में अमिताभ बच्चन के साथ बड़ा रोल मिल गया और उन्होंने अपनी कला का जान डाल दी. वह फिल्म हिट हुई और अली खान को फिल्मी जगत में एक ओहदा मिला. इसके बाद ‘सरफरोश’, ‘मां तूङो सलाम’, ‘इंडियन’, ‘अल्ला रखा’, ‘अली बाबा चालीस चोर’, ‘कयामत से कयामत तक’ कई फिल्में मिलीं. अन्य फिल्मों में ‘मकसद द मिशन’, ‘तेरी मेहरबानियां’, भोजपुरी फिल्में ‘जलसा घर की देवी’, ‘बूटन पासी’, ‘दामाद रिक्शावाला’, ‘परशुराम’, ‘हम इंतजार करब’ के अलावा दूसरी भाषाओं के फिल्मों में भी अली खान ने अपनी पहचान छोड़ीं.
इनमें तमिल फिल्म ‘वंछी नाथन’, ‘गोलमाल’, ‘राजस्थानी फिल्म ‘राजू बन गयो एमएलए’, गुजराती फिल्म ‘सरहद री घर म्हारी राधा’, मराठी फिल्मों में ‘मुंबई चा किनारा’, ‘भिंडी बाजार’ सहित कई फिल्में हैं. बकौल अली खान मैं मुंबई में रह कर भी बिहार व खासकर गया जहां का हूं, वहां के लोगों के लिए, कलाकारों के लिए हर सीमाएं लांघने को तैयार रहता हूं. सिर्फ जानकारी मिलने भर की फलां व्यक्ति मेरे प्रदेश व जिले का है, उसे जैसी मदद चाहिए, करता हूं. अली खान मुख्यत: गया जिले के शेरघाटी के पास आमस प्रखंड के बैदा गांव के निवासी हैं.
उभरते कलाकारों में धामा वर्मा, इमरान अली, धर्मेद्र यादव आदि का नाम लेते वह नहीं भुलते. कहते हैं गया के ये उभरते कलाकार फिल्मों में अच्छा कर रहे हैं. बिहार के कई लेखक, निर्देशक व प्रोडय़ूसर हैं, पर उनमें ज्यादातर बिहारियों से दूर रहनेवाले.