शिष्य वही जिसके अंदर समर्पण का भाव हो : विनयानंद

फोटो-प्रतिनिधि, मानपुरमानपुर प्रखंड के भोरे गांव में शिव गुरु जनकल्याण संस्थान की ओर से शिव गुरु चर्चा व दिव्य ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया. इस मौके पर गृहस्थ संत विनयानंद जी ने उपस्थित शिव भक्तों के बीच कही कि शिष्य वही है,जिसके अंदर समर्पण का भाव हो. अपने संपूर्ण अस्तित्व को सद्गुरु की भक्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2015 2:03 PM

फोटो-प्रतिनिधि, मानपुरमानपुर प्रखंड के भोरे गांव में शिव गुरु जनकल्याण संस्थान की ओर से शिव गुरु चर्चा व दिव्य ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया. इस मौके पर गृहस्थ संत विनयानंद जी ने उपस्थित शिव भक्तों के बीच कही कि शिष्य वही है,जिसके अंदर समर्पण का भाव हो. अपने संपूर्ण अस्तित्व को सद्गुरु की भक्ति में लगा दें. फिर ना शिष्य का कोई नाम रह जाता, न कोई रूप. शिव को गुरु बनाने के बाद एक ही चाहत होती है कि गुरु हमें अपना ले. विनयानंद जी ने कहा कि व्यक्ति का दिखनेवाली आकृति तो उसकी होती है पर अनुभव होनेवाली प्रकृति उसके अपने सद्गुरु की होती है. इस मौके पर कृष्णदेव, उमाकांत, विष्णुदेव, मुरारी, अमरेश, रिंकु, संतोष, सुनीता देवी, जामंती, कुलदीप व अमन सहित सैकड़ों स्त्री-पुरुष ने भक्ति का रसपान किया.

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