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गांधी मैदान में लगाये पोस्टर, तो जायेंगे जेल

गया: गांधी मैदान की चहारदीवारी पर हुई पोस्टरबाजी को लेकर डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने नगर निगम समेत कई संस्थानों पर सख्ती दिखायी है. गांधी मैदान की खूबसूरती को बिगाड़ने के लिए नगर निगम को जिम्मेवार मानते हुए डीएम ने बुधवार को नगर आयुक्त डॉ नीलेश देवरे को लगाये गये पोस्टरों को अविलंब हटाने को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 26, 2015 7:25 AM
गया: गांधी मैदान की चहारदीवारी पर हुई पोस्टरबाजी को लेकर डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने नगर निगम समेत कई संस्थानों पर सख्ती दिखायी है. गांधी मैदान की खूबसूरती को बिगाड़ने के लिए नगर निगम को जिम्मेवार मानते हुए डीएम ने बुधवार को नगर आयुक्त डॉ नीलेश देवरे को लगाये गये पोस्टरों को अविलंब हटाने को कहा है, अन्यथा संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी. जेल भी भेजा सकता है.
डीएम ने बताया कि गया शहर का चयन हेरिटेज सिटी के रूप में किया गया है. हेरिटेज सिटी का लुक देने के लिए शहर की खूबसूरती को बढ़ाना होगा. इसके लिए आवश्यक है कि शहर की प्रमुख धरोहरों को खूबसूरत बनाया जाये. निर्णय लिया गया है कि गांधी मैदान की चहारदीवारी पर पोस्टरबाजी नहीं की जाये. गांधी मैदान में हमेशा कार्यक्रम होते रहते हैं. इस दौरान पोस्टरबाजी भी होती है. इससे गांधी मैदान का लुक बिगड़ जाता है. गांधी मैदान की भव्यता व सुंदरता के लिए पोस्टरों को हटाना जरूरी है. पोस्टरों को हटाने के लिए भी नगर निगम को निर्देश दिया गया है.
सिर्फ गांधी मैदान ही क्यों? : डीएम ने गांधी मैदान की चहारदीवारी पर पोस्टरबाजी करनेवाले संस्थानों पर कानूनी कार्रवाई करने का फरमान जारी किया है. यह पहल सराहनीय है. लेकिन, यह आदेश सिर्फ गांधी मैदान के लिए ही क्यों? अगर शहर मे हर सरकारी व गैर सरकारी बिल्डिंग व उसकी चहारदीवारी से पोस्टर हट जाये, तो शहर और सुंदर दिखेगा. सरकारी बिल्डिंग पर पोस्टरबाजी व दीवार लेखन करने में स्कूल, कॉलेज, कोचिंग व राजनीतिक दल प्रमुख रूप से आते हैं. लेकिन, अब तक इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इससे उनका मनोबल बढ़ता चला गया. हालांकि, कोर्ट, समाहरणालय, आयुक्त आवास, डीएम आवास, एसपी आवास आदि कुछ प्रमुख सरकारी बिल्डिंग ऐसी हैं, जिन पर पोस्टरबाजी करने पर ऑन द स्पॉट ही कार्रवाई हो सकती है. लेकिन, खलीश पार्क, मगध मेडिकल कॉलेज, गया कॉलेज, अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज आदि कई ऐसी सरकारी इमारतें हैं, जहां खुलेआम पोस्टरबाजी की जाती है. जिला न्यायालय के पास सेल्स टैक्स ऑफिस की चहारदीवारी पर वर्षो से पोस्टरबाजी व दीवार लेखन किया जा रहा है.
सरकारी राजस्व की भी होती है क्षति : शहरी इलाके में किसी संस्थान के प्रचार-प्रसार के लिए नगर निगम द्वारा कुछ स्थान चिह्न्ति किये गये हैं, जहां पोस्टर व बैनर लगाये जाते हैं. इस स्थानों का हर वर्ष टेंडर होता है. इससे हर वर्ष करीब 10 लाख रुपये सरकारी खाते में आते हैं. लेकिन, शहर में अवैध रूप से सरकारी व गैर-सरकारी इमारतों पर पोस्टरबाजी व दीवार लेखन कर राजस्व को चूना लगाया जा रहा है.

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