लस्सी-शरबत पीयें, पर रहें सावधान भी

गया: गरमी बढ़ने के साथ शीतल पेय की दुकानों पर भीड़ देखी जा रही है. ये शीतल पेय सेहत के लिए फायदेमंद तो हैं, लेकिन इनसे सावधान रहने की भी जरूरत है. साफ-सफाई नहीं रहने के कारण शीतल पेय लोगों की सेहत के लिए नुकसानदेह भी हो सकते हैं. इन्हें पीने से पहले ध्यान देने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2015 8:44 AM
गया: गरमी बढ़ने के साथ शीतल पेय की दुकानों पर भीड़ देखी जा रही है. ये शीतल पेय सेहत के लिए फायदेमंद तो हैं, लेकिन इनसे सावधान रहने की भी जरूरत है. साफ-सफाई नहीं रहने के कारण शीतल पेय लोगों की सेहत के लिए नुकसानदेह भी हो सकते हैं. इन्हें पीने से पहले ध्यान देने की जरूरत है कि दुकानों पर साफ-सफाई का कितना ख्याल रखा जाता है. कहीं दुकानदार सड़े-गले फल तो इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

कैसे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं? दूध व दही ढक कर रखे गये हैं या नहीं. बनानेवाले के नाखून साफ हैं या नहीं. दुकानदार ने दस्ताना पहना है या नहीं. अगर नहीं, तो लोग जाने-अनजाने में वायुमंडल में घूम रहे बैक्टीरिया के साथ-साथ कीटाणु-जीवाणु व कीड़ों का सेवन कर रहे हैं, जो बीमारियों को न्योता दे रहे हैं.

कई बार होती है फलों व काउंटर की सफाई
प्रधान डाकघर के समीप हर साल गरमी के आते ही शीतल पेय की दुकान लगाता हूं. फल मंडी से अच्छी क्वालिटी का फल लाता हूं. उन्हें धोकर रखता हूं. दिन भर में 15-20 बार फलों व काउंटर की सफाई करता हूं. चापाकल का पानी इस्तेमाल करता हूं. जूसर मशीन को बार-बार साफ करता हूं. हाथ में दस्ताना नहीं होता. ग्राहकों के हमेशा आते-जाते रहने के कारण फल को ढक कर रखना मुश्किल होता है.
शरीफ, आम रस दुकानदार
लस्सी, आमझोरा, बेल का शरबत व सत्तू आदि पीने के समय इस बात का जरूर ध्यान रखता हूं कि वह साफ-सुथरे जगह पर लगा हो, ढक कर रखा है या नहीं. हाथ में दस्ताने पर ध्यान नहीं दे पाता.
अमर कुमार उर्फ फंटूश,
शहीद रोड
मैं खुले में बिकनेवाले शीतल पेय का सेवन नहीं करता. सत्तू, बेल आदि का शरबत घर पर ही बना कर पीता हूं. मट्ठा या दही का शरबत व ठंडई भी घर में ही बनवा कर पीता हूं. बाहर में बैक्टीरिया का डर बना रहता है. इससे भी ज्यादा बनानेवाले हाथ में दस्ताने व बरतन को सही से धोने का ख्याल नहीं रखते, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं.
सतीश कुमार भदानी, जीबी रोड

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