पढ़ानेवाला एक भी नहीं पर, पढ़ाये जा रहे सैकड़ों
गया: दुर्गाबाड़ी रोड स्थित कासमी प्लस टू स्कूल वर्ष 2012 में प्लस टू में अपग्रेड (उत्क्रमित) होकर अब तक तीन सत्रों में अपने छात्रों की पढ़ाई पूरी करा चुका है. अब तो चौथे सत्र में पढ़े-लिखे छात्रों को भी रिजल्ट का इंतजार है. पर, इस स्कूल की बदहाली का आलम यह है कि अपग्रेडेशन से […]
गया: दुर्गाबाड़ी रोड स्थित कासमी प्लस टू स्कूल वर्ष 2012 में प्लस टू में अपग्रेड (उत्क्रमित) होकर अब तक तीन सत्रों में अपने छात्रों की पढ़ाई पूरी करा चुका है. अब तो चौथे सत्र में पढ़े-लिखे छात्रों को भी रिजल्ट का इंतजार है. पर, इस स्कूल की बदहाली का आलम यह है कि अपग्रेडेशन से लेकर अब तक इस स्कूल को एक भी नया शिक्षक नहीं मिला.
कासमी हाइ स्कूल की स्थापना 1949 में हुई थी, तब से यहां दो चपरासी, एक क्लर्क, एक प्राचार्य समेत यहां स्टाफ के 14 यूनिट स्वीकृत हैं. उत्क्रमित होने के बाद भी यहां स्टाफ में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी. हालांकि यहीं पढानेवाले चार शिक्षक इस बीच एमए कर अपने को भी अपग्रेड कर लिये और वे नौंवी, 10वीं के अलावा 11वीं व 12वीं का भी क्लास ले रहे हैं. लेकिन, इन चार शिक्षकों में भी एक भूगोल के हैं और बाकी तीन अंगरेजी, हिंदी व उर्दू के शिक्षक हैं. सोचने की बात यह है कि भला इन्हीं शिक्षकों के भरोसे यहां कला संकाय में भूगोल और हिंदी, अंगरेजी तथा उर्दू छोड़ किसी अन्य विषय की पढ़ाई कौन कराता होगा और कैसे होगी? सबसे महत्वपूर्ण सवाल तो ये है कि इसी स्कूल में विज्ञान के छात्र भला कैसे पढ़ते होंगे? क्या पढ़ कर पास करते होंगे? कौन पढ़ाता होगा उन्हें?
स्कूल के प्राचार्य आले हसन स्वयं भूगोल के शिक्षक हैं. वह खुद प्लस टू स्तर पर क्लास भी लेते हैं. वह बताते हैं कि यहां साइंस व आर्ट्स के 120-120 छात्र-छात्रओं की जगह है. साइंस में एक भी विषय का कोई शिक्षक नहीं है, जो एमएससी का डिग्रीधारी हो. प्रिंसिपल खुद ही मानते हैं कि उनके स्कूल में साइंस की पढ़ाई बस ऊपरवाले के भरोसे ही हो रही है. मजेदार तथ्य यह है कि साइंस में एक भी शिक्षक रखे बिना ही कासमी हाइ स्कूल ने करीब 200 छात्रों को पढ़ा दिया है. 120 को पढ़ा भी रहे हैं. 2012-14 में 69 और 2013-15 में 120 छात्र-छात्राएं यहां पढ़ चुके हैं. 2014-16 सत्र में दाखिला पाये 120 छात्र-छात्रओं की पढ़ाई ऊपरवाले के भरोसे चल भी रही है. इन्हीं सत्रों में अधकचरी व्यवस्था में ही कासमी हाइस्कूल ने आर्ट्स में 51 छात्रों को पढ़ा कर पार करा दिया है. फिलहाल 2014-16 सत्र में दाखिल हुए आर्ट्स के 94 स्टूडेंट्स के भविष्य पर बदहाली के हथौड़े बरस रहे हैं.
स्कूल में आर्ट्स व साइंस के विषयों की ठीक-ठाक पढ़ाई हो सके, इसके लिए कम से कम 26 स्टाफ यहां और होने चाहिए, जिनमें छह लैब टेक्निशियन भी शामिल हैं. अब इतनी बड़ी संख्या शिक्षकों व सहयोगी स्टाफ की कमी के असर को आसानी से समझा जा सकता है.
यह भी कि अगर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक नहीं हैं, तो पढ़ाई आखिर चल ही कैसे रही है? लैब टेक्निशियन व चपरासी के अभाव में यहां बेहतर प्रयोगशाला होने के बाद भी तमाम उपकरण धूल की चादर ओढ़ रहे हैं.