गरीबी के साथ ही अब बेटे की मौत का भी दंश
सब्जियां बेच कर घर परिवार चलाते हैं दिनेश इसी वर्ष करनेवाले थे बेटे कक्कू की शादी मानपुर : गरीबी से जूझते एक व्यक्ति की उम्मीद आमतौर पर भविष्य के चमत्कार और अगली पीढ़ी के पुरुषार्थ पर टिकी होती है. पर, उस आदमी का क्या, जिसकी अगली पीढ़ी का स्तंभ उसकी आंखों के सामने ही ढेर […]
सब्जियां बेच कर घर परिवार चलाते हैं दिनेश
इसी वर्ष करनेवाले थे बेटे कक्कू की शादी
मानपुर : गरीबी से जूझते एक व्यक्ति की उम्मीद आमतौर पर भविष्य के चमत्कार और अगली पीढ़ी के पुरुषार्थ पर टिकी होती है. पर, उस आदमी का क्या, जिसकी अगली पीढ़ी का स्तंभ उसकी आंखों के सामने ही ढेर हो जाता हो. शाक-सब्जियां बेच कर गरीबी से जंग करनेवाले मानपुर अबगिला देवी स्थान के रहनेवाले दिनेश प्रसाद मेहता के साथ भी ऐसा ही हुआ है.
शुक्रवार की रात अचानक एक झटके में उनकी उम्मीदों को तब भारी झटका लगा, जब उनका बेटा सूरज प्रसाद मेहता उर्फ कक्कू उनकी आंखों के सामने ही ढेर हो गया. देखते ही देखते एक बेलगाम ट्रक की चपेट में आकर अकाल मृत्यु का शिकार हो गया.
कक्कू की मौत के एहसास के साथ ही दिनेश मेहता को उनकी दुनिया उजड़ती दिखी. मानपुर पीएचसी के पास घटनास्थल के करीब बेटे की लाश देखते दिनेश मेहता को देखनेवाले हैरान थे. पहले तो वह चुप थे, पर जैसे ही बेटे को मरा समङो, दहाड़ मार रोने लगे. पता चला है कि कक्कू अपने तीन भाइयों में मंझला था. 20 वर्ष उम्र का. अब परिवार को सपोर्ट करने योग्य हो चला था. पिता को उम्मीद थी कि कक्कू का सहयोग परिवार को पटरी पर लाने में मददगार होगा. पर, नियति को शायद पसंद नहीं था. वह असमय विदा हो लिया.
पता चला है कि इसी वर्ष कक्कू की शादी भी होनेवाली थी. बात तय भी हो गयी थी. कहते हैं कि मुसीबत अकेले नहीं आती. दिनेश मेहता के साथ भी वैसा ही हुआ. गरीबी से उबरने में कक्कू का योगदान तो मिलने से रहा, जिस परिवार में उसकी शादी की बातें चल रही थीं, उसके साथ किये उनके वादे भी अब टूटेंगे ही.